यह कहना गलत कि इथियोपिया में ज्वालामुखी फटने से मुंबई की एयर क्वालिटी खराब हुई: हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा

Update: 2025-11-28 04:24 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार की इस बात को मानने से इनकार किया कि इथियोपिया में ज्वालामुखी फटने से राख के बादल बनने की वजह से मुंबई में एयर क्वालिटी खराब हुई।

चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड की डिवीजन बेंच ने बताया कि ज्वालामुखी फटना 23 नवंबर को ही हुआ था, जबकि उससे पहले भी शहर में विज़िबिलिटी कम थी।

चीफ जस्टिस चंद्रशेखर ने कहा,

"नहीं नहीं... हम यह नहीं मान सकते... इस (ज्वालामुखी के) फटने से पहले भी अगर कोई बाहर निकलता था, तो विज़िबिलिटी कम थी... 500 मीटर की दूरी पर भी ठीक से नहीं देखा जा सकता था।"

यह एडिशनल सरकारी वकील ज्योति चव्हाण की उस बात के जवाब में आया है, जिन्होंने कहा था कि शहर में एयर क्वालिटी इथियोपिया में ज्वालामुखी फटने के बाद ही खराब हुई है, क्योंकि राख के बादल वहां से बहकर महाराष्ट्र समेत भारत के कई राज्यों में चले गए।

हालांकि, बेंच ने शुरू में ही इस बात को खारिज कर दिया।

यह मामला तब सामने आया जब सीनियर वकील डेरियस खंबाटा और जनक द्वारकादास ने जजों के सामने 2023 की सू मोटू पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (SMPIL) का ज़िक्र किया और कोर्ट से दखल देने की अपील की। ​​उन्होंने यह बात बताई कि जब कोर्ट ने 2023 में पहली बार इस मामले पर ध्यान दिया था तो मुंबई में एयर क्वालिटी 200 थी, जबकि अब यह शहर के कई हिस्सों में 300 को भी पार कर गई।

सीनियर वकीलों की रिक्वेस्ट पर विचार करने के बाद जजों ने कहा कि उन्हें दिल्ली में किए गए असरदार उपायों के असर की भी स्टडी करनी चाहिए, जो गंभीर एयर पॉल्यूशन से जूझ रही है।

बेंच ने सीनियर वकीलों से एयर पॉल्यूशन के खतरे से निपटने के लिए कुछ और काम करने लायक और असरदार उपाय बताने को भी कहा।

बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को तय की।

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