'रिट ऑफ क्वो वारंटो अकादमिक निर्णय पर अपील नहीं': गुजरात हाईकोर्ट ने जीटीयू एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति पर सिंगल जज बेंच के फैसले को रद्द किया

Update: 2023-04-10 15:19 GMT

Gujarat High Court

गुजरात हाईकोर्ट ने सिंगल जज बेंच के एक फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें जिसमें गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर (मैनेजमेंट) पद पर कार्यरत एक व्यक्ति को क‌थ‌ित अपात्रता के कारण उक्त पद को खाली करने का आदेश दिया गया था।

जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस भार्गव डी करिया की खंडपीठ ने कहा,

"किसी भी दृष्टि से, अधिकार-पृच्छा आदेश (Writ of Quo Warranto) अकादमिक निर्णय पर अपील नहीं होगी। जबकि विशेष रूप से, एसोसिएट प्रोफेसर (मैनेजमेंट) पद के लिए कॉमर्स में पीएचडी को 'प्रासंगिक क्षेत्र' मानना, मौजूदा मामले में तर्कहीन आधार पर स्‍थापित‌ ‌निर्णय नहीं कहा जा सकता है।

अपीलकर्ता कौशल अरविंदकुमार भट्ट को गुजरात टेक्नोलॉ‌जिकल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर (मैनेजमेंट) पद पर नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि उन्होंने 'कॉमर्स' में पीएचडी की थी, जबकि एआईसीटीई रेगुलेशन [रेगलेशन 5.2 (सी) (i)] में कहा गया है कि प्रत्यक्ष चयन के माध्यम से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्त‌ि के लिए पात्र होने के लिए, उम्मीदवार के पास 'प्रासंगिक क्षेत्र' में पीएचडी की डिग्री होनी चाहिए। सिंगल जज की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि भट्ट के पास 'मैनेजमेंट' में पीएचडी की अपेक्षित शैक्षणिक योग्यता नहीं है।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि भट्ट की 'कॉमर्स' में पीएचडी की डिग्री को योग्यता के रूप में विचार करना एआईसीटीई रेगुलेशन के विपरीत था और नियुक्ति को रद्द करने की जरूरत थी, जिसके कारण याचिकाकर्ता ने आधिकार-पृच्छा आदेश जारी करने का अनुरोध किया था।

याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की थी कि एसोसिएट प्रोफेसर (मैनेजमेंट) के विज्ञापित पद पर नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करने के लिए यूनिवर्सिटी को निर्देश देने के लिए परमादेश जारी किया जाए।

प्रतिवादी यूनिवर्सिटी (जीटीयू) ने सिंगल जज की बेंच के समक्ष दलील दी कि चयनित उम्मीदवार के पास 'कॉमर्स' में पीएचडी की डिग्री है और एक मार्च, 2019 की एआईसीटीई अधिसूचना के अनुसार, 'कॉमर्स' मैनेजमेंट का विषय था, इसलिए वह पात्र था और विचाराधीन पद के लिए उपयुक्त पाया गया।

सिंगल जज बेंच ने 25 मार्च, 2022 के आदेश के तहत विवादित नियुक्ति को इस आधार पर रद्द कर दिया कि चयनित व्यक्ति के पास 'मैनेजमेंट' में पीएचडी होनी चाहिए और यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता को ऐसे पद पर नियुक्ति के लिए विचार करे कि, जिसकी वह निर्धारित योग्यता रखते हैं।

भट्ट और जीटीयू दोनों ने लेटर्स पेटेंट अपील में आक्षेपित फैसले और आदेश को चुनौती दी।

भट्ट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट गौतम जोशी ने कहा कि एसोसिएट प्रोफेसर (मैनेजमेंट) के पद को क्वो वारंटो रिट बनाए रखने के लिए एक सार्वजनिक कार्यालय नहीं कहा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि सिंगल जज बेंच यह समझने में विफल रही कि विज्ञापन में मैनेजमेंट या समकक्ष शाखा में पीएचडी की आवश्यकता थी।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि सिंगल जज बेंच ने देखा कि विज्ञापन में उल्लिखित योग्यता को एआईसीटीई अधिसूचना के संदर्भ में पढ़ा जाना चाहिए, लेकिन वह यह स्पष्ट नहीं कर सकी कि संबंधित क्षेत्र में कॉमर्स शामिल नहीं होगा।

अपीलकर्ता ने यह भी प्रस्तुत किया गया था कि कॉमर्स और मैनेजमेंट न केवल प्रासंगिक क्षेत्र थे, बल्कि अंतःविषय प्रकृति के क्षेत्र थे और एकल न्यायाधीश पीठ का यह विचार कि मैनेजमेंट में पीएचडी पद पर नियुक्ति के लिए अनिवार्य है, एआईसीटीई द्वारा बनाए गए विनियमों के विपरीत है और टिकाऊ नहीं है।

खंडपीठ ने कहा कि क्वो वारंटो रिट एक तकनीकी रिट है। यह तब जारी की जाती है जब सार्वजनिक प्रकृति के कार्यालय के धारक में ऐसे पद के लिए आवश्यक योग्यता का अभाव होता है।

कोर्ट ने कहा,

"यूनिवर्सिटी द्वारा स्वीकृत योग्यता में समानता का आयाम है और यह विशेषज्ञ शैक्षणिक क्षेत्र में निर्णय था। पीएचडी करने के निर्णय पर पहुंचने से पहले यूनिवर्सिटी ने डॉ कुलकर्णी की विशेषज्ञ सलाह प्राप्त की। कॉमर्स को पात्रता मानदंड को पूरा करने वाले के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा निर्णय की पुष्टि की गई थी। इस प्रकार, बिंदु पर निर्णय एक अकादमिक विशेषज्ञ निर्णय बन गया। यूनिवर्सिटी के इस तरह के फैसले को कोर्ट को मानना होगा। यह सामान्य बात है कि अदालत शैक्षणिक निर्णयों पर अपील पर विचार नहीं करती है।”

अदालत ने राजबीर सिंह दलाल बनाम चौधरी देवीलाल यूनिवर्सिटी, सिरसा (2008) 9 एससीसी 284 पर भरोसा किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 'प्रासंगिक विषय' की अवधारणा को संबोधित किया और एक रीडर की नियुक्ति को बरकरार रखा।

केस टाइटल: कौशल अरविंदकुमार भट्ट बनाम द गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, रजिस्ट्रार के माध्यम से

कोरम: जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस भार्गव डी करिया

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