महिला पर अपने लिव-इन पार्टनर को अपनी ही नाबालिग बेटी का यौन उत्पीड़न करने की अनुमति देने का आरोप: तेलंगाना हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार किया
तेलंगाना हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महिला को जमानत देने से इनकार कर दिया, जिस पर अपने लिव-इन पार्टनर को अपनी ही नाबालिग बेटी का यौन उत्पीड़न करने की अनुमति देने का आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति जी.श्री देवी की खंडपीठ महिला की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। महिला के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(f)(n), 376(3), 342 और 50 के तहत मुकदमा दर्ज है।
कोर्ट ने केस रिकॉर्ड और अन्य भौतिक कागजात देखा और पाया कि याचिकाकर्ता/महिला के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
अदालत ने कहा कि अपने पति की मृत्यु के बाद, उसने ए -1 के साथ अवैध संबंध बनाए। इसके बाद याचिकाकर्ता और ए -1 दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगे और ए -1 को अपनी ही नाबालिग बेटी का यौन उत्पीड़न करने की अनुमति दी। जिसके परिणामस्वरूप उसकी नाबालिग बेटी गर्भवती हो गई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया।
इसके अलावा जन्म देने के बाद भी पीड़िता दो बार गर्भवती हुई उसे गर्भपात की गोलियां दी गईं। कोर्ट ने यह भी कहा कि डीएनए टेस्ट से पता चला है कि ए-1 पीड़ित लड़की से पैदा हुए बच्चे का जैविक पिता है।
अंत में कोर्ट ने कहा कि इस मामले में चार्जशीट भी दाखिल की गई है।
न्यायालय ने कहा कि,
"याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, जो गंभीर और जघन्य प्रकृति के हैं, मैं याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के लिए इच्छुक नहीं हूं और जमानत की प्रार्थना खारिज की जाती है।"
तदनुसार जमानत याचिका खारिज कर दी गई और ट्रायल कोर्ट को किसी भी पक्षकार को अनावश्यक स्थगन दिए बिना आज से छह महीने की अवधि के भीतर यथासंभव शीघ्रता से सुनवाई शुरू करने और मामले को निपटाने का निर्देश दिया गया।