यदि पति मृत्यु के दिन विवादित भूमि का मालिक नहीं था, तो उसकी विधवा स्वाभाविक उत्तराधिकार के माध्यम से संपत्ति के उत्तराधिकार का दावा नहीं कर सकती : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2022-06-02 06:01 GMT

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने स्वाभाविक उत्तराधिकार के आधार पर विवादित संपत्ति पर अधिकार का दावा करने वाली विधवा द्वारा दायर एक अपील पर विचार करते हुए कहा कि अपीलकर्ता का पति अपनी मृत्यु की तिथि पर विवादित भूमि का मालिक नहीं था, इसलिए, संपत्ति के उत्तराधिकार का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।

यह माना गया है कि स्वर्गीय श्री बलदेव सिंह अपनी मृत्यु के दिन विवादित भूमि के स्वामी नहीं थे। अतः सम्पत्ति के उत्तराधिकार का प्रश्न ही नहीं उठता।

न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की पीठ उस मामले से निपट रही थी, जहां मूल वादी ने मौजूदा अपील दायर की थी, जिसमें निचली अदालतों द्वारा प्राप्त तथ्यों के समवर्ती निष्कर्षों की शुद्धता पर सवाल उठाया गया था।

वादी ने स्वाभाविक उत्तराधिकार के आधार पर विवादित संपत्ति पर यह कहते हुए दावा किया कि उसके दिवंगत पति के पास वह सम्पत्ति थी। उसने अपने 4 बेटों और उनसे बाद के खरीदारों के खिलाफ मुकदमा दायर किया।

कोर्ट ने प्रतिवादियों के लिखित बयान पर विचार किया, जिसमें दावा किया गया था कि सिविल कोर्ट में अपीलकर्ता के पति ने अपने चार बेटों को संपत्ति के मालिक के रूप में स्वीकार किया था, जिसके परिणामस्वरूप सिविल कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय और डिक्री पारित की।

कोर्ट ने यह भी देखा कि बेटों ने बहुमूल्य प्रतिफल प्राप्त होने पर पंजीकृत बिक्री विलेखों द्वारा प्रतिवादी संख्या 5 और 6 के पक्ष में संपत्ति हस्तांतरित की थी।

पक्षों द्वारा दी गयी दलीलों और इस मामले के तथ्यों पर विचार करने के बाद, कोर्ट ने माना कि नीचे के दोनों कोर्ट ने पाया है कि अपीलकर्ता-वादी ने सिविल कोर्ट के फैसले और डिक्री की शुद्धता को चुनौती नहीं दी है।

तदनुसार, यह निष्कर्ष निकाला गया कि अपीलकर्ता का दिवंगत पति उसकी मृत्यु की तारीख पर वाद भूमि का मालिक नहीं था, जो उसकी विधवा द्वारा संपत्ति के उत्तराधिकार की संभावना को नकारता है। नतीजतन, अदालत ने मामले को मेरिट न होने के आधार पर खारिज कर दिया।

केस शीर्षक: जसवंत कौर बनाम लखविंदर सिंह एवं अन्य

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