महामारी के दौर में अज्ञानता सर्वनाशी है : तेलंगाना हाईकोर्ट ने सरकार के COVID 19 आंकड़ों पर असंतोष जताया
तेलंगाना हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार ने COVID 19 के बारे में जो आंकड़े दिए हैं और मीडिया बुलेटिन और प्रेस में जो सूचनाएं दी जाती हैं उससे एक बहुत ही भयानक तस्वीर उभरती है।
अदालत ने सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि पिछले दो माह से अदालत एक के बाद एक आदेश पास करती जा रही है, यह सोचकर कि सरकार स्थिति की गंभीरता को समझेगी और इस अदालत के आदेश को लागू करेगी पर ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है।
अदालत ने निर्देश दिया कि अगर अदालत के निर्देशों का 15 जुलाई तक पालन नहीं हुआ तो 27 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई में तेलंगाना सरकार के मुख्य सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव, नगर प्रशासन और शहरी विकास के प्रधान सचिव और जीएचएमसी के आयुक्त को अदालत में मौजूद रहना होगा।
मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और जस्टिस विजयसेन रेड्डी की पीठ ने कहा कि अदालत ने राज्य सरकार से हर दिन जांच किए जाने वाले नमूने की संख्या को बढ़ाने को कहा था, पर ऐसा नहीं किया गया।
पीठ ने अचरज जताते हुए कहा,
"आईसीएमआर ने जनसंख्या के बड़े हिस्से का जितना ज़्यादा हो सके नमूना लेने की बात पर जोर दिया है, लेकिन 25 जून 2020 की प्रेस नोट के मुताबिक़ सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के निदेशक ने कुछ दिनों के लिए नमूनों को इकट्ठा करने के कार्य को रोक दिया है।"
अदालत ने कहा कि यह चकित करने वाली बात है कि निदेशक ने इसका विरोध किया है और उसने आईसीएमआर की सलाह का भी उल्लंघन किया है। अदालत ने कहा कि जो आंकड़े जुटाए गए हैं, उनसे स्पष्ट पता चलता है कि अन्य राज्यों की तुलना में नमूना इकट्ठा करने और उसकी जाँच में तेलंगाना काफ़ी पीछे है। इसलिए, 30.06.2020 को 945 लोगों के कोरोना पॉज़िटिव होने की बात बहुत बड़ी समस्या की ओर इशारा है।
कोर्ट ने कहा कि 18.06.2020 को अपने आदेश में उसने राज्य सरकार को हर दिन न केवल अपने मेडिकल बुलेटिन में बल्कि क्षेत्रीय अख़बारों में भी ज़रूरी सूचना जारी करने को कहा था, लेकिन ऐसा लगता है कि इस निर्देश पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
पीठ ने कहा,
"18.06.2020 को दिए गए आदेश से एक दिन पहले 17.06.2020 को सरकार ने COVID 19 से प्रभावित लोगों के उम्र पर भी ग़ौर करने की बात को शामिल किया था। पर इस आदेश के बाद किसी भी मीडिया बुलेटिन से यह पता नहीं चलता है कि सरकार ने कोई ज़रूरी सूचना प्रकाशित की है।"
अदालत ने कहा कि जब आप महामारी से लड़ रहे हों, तो अज्ञानता कहीं से भी अच्छी बात नहीं है, बल्कि यह सर्वनाश को आमंत्रित करेगा।
अदालत ने जीएचएमसी को वार्डवार सूचना प्रकाशित करने को कहा था और कॉलोनी के संघों को भी इसकी जानकारी देने को कहा था पर इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि इस निर्देश का पालन हुआ।
फिर इस बात का भी कोई संकेत नहीं है कि सरकार ने महामारी को रोकने के लिए कोई नीति बनायी है और उसने शहरवार और राज्यवार कंटेनमेंट क्लस्टर की सूची प्रकाशित करना भी बंद कर दिया है।
कोर्ट के आदेश इस तरह से हैं -
l) सरकार 18 जून 2020 को जारी आदेश को लागू करे
2) पिछले 20 दिनों में लक्षण और बिना लक्षण वाले कितने मरीज़ों की जांच हुई, सरकार यह सूचना दे। आईसीएमआर के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण की आशंका है तो उसकी पांचवें और दसवें दिन जांच होनी चाहिए। पर इस बात का पता नहीं है कि ऐसा हो रहा है कि नहीं।
3) सरकार ज़रूरी सूचनाएं हर दिन मीडिया बुलेटिन और क्षेत्रीय अख़बारों में प्रकाशित करेगी।
4) अगर सरकार यह कहती है कि जीएचएमसी और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में तालमेल नहीं है तो राज्य यह सुनिश्चित करे कि लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग उसे नवीनतम आंकड़े दे। सरकार को निर्देश है कि वह किसी भी तरह के मतभेद को दूर करे।
5) राज्य ने अगर कोई कंटेनमेंट नीति बनाई है तो उसे कोर्ट में पेश करे।
6) राज्य के पास अगर कंटेनमेंट क्लस्टर्स की कोई सूची है तो अदालत को दे। अगर नहीं है तो बताए कि क्यों नहीं है।
7) राज्य सरकार 27.06.2020 और 28.06.2020 को राज्य का दौरा करनेवाले केंद्रीय टीम के निष्कर्षों का विवरण दे।
8) राज्य सरकार 22.03.2020 से 23.06.2020 तक सूर्यपेट ज़िला में कितने टेस्ट हुए उसकी जानकारी दे; कितने लोगों को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल भेजा गया; 22,03,2020 और 23.06.2020 के बीच ज़िले में कितने पॉज़िटिव मरीज़ों का इलाज हुआ।
9) सरकारी अस्पतालों के अधीक्षकों के हलफ़नामे को राज्य सरकार अदालत में पेश करे कि उन्होंने कितने मरीजों का इलाज किया, उनके पास बुनियादी सुविधाएं क्या हैं, सुरक्षात्मक उपकरण कितने उपलब्ध हैं, ये कहां कहां उपलब्ध कराए गए हैं और इस बारे में हर दिन का ब्योरा दें। 45 दिन पहले इन हलफनामों को कोर्ट में पेश करने को कहा गया था पर आज तक इसे पेश नहीं किया गया।
10) राज्य सूर्यपेट ज़िले में अपने आँकड़ों में गड़बड़ी पर सफ़ाई दे।
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