''जब जनता की राय जांच को प्रभावित करती है तो इसकी दिशा परेशान करने वाले परिणामों की तरफ मुड़ जाती है'' : केरल हाईकोर्ट ने आदिवासी महिला के बलात्कार और हत्या के आरोपी को बरी किया
केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आदिवासी महिला से बलात्कार करने और उसकी हत्या के मामले में दो आरोपी व्यक्ति मणि और राजन को बरी कर दिया है। 30 मई 2005 को आदिवासी महिला की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जियाद रहमान एए की एक खंडपीठ ने कहा कि ''जब जनता की राय एक जांच को प्रभावित करती है, तो इसका पूरा रास्ता परेशान करने वाले परिणामों की तरफ मुड़ जाता है।''
पलक्कड़ जिले में एक आदिवासी महिला के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी और संदिग्ध उसी समुदाय से उसका विश्वासपात्र था। अदालत ने पाया कि समुदाय अपने स्वयं के साथी का नाम सामने आने पर इसके खिलाफ उठ खड़ा हुआ था,जिसके बाद पुलिस ने उसका नाम संदिग्धों की सूची से हटा दिया। इसके बाद पुलिस ने उच्च जाति वाले एक अलग समुदाय के दो अन्य संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई की। इसके परिणामस्वरूप भारतीय दंड संहिता के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
लोक अभियोजक ने प्रस्तुत किया कि उनके खिलाफ मामला जुंगन के बयान के आधार पर बनाया गया था, जिसने कथित तौर पर पुलिस स्टेशन के सामने ''आत्मसमर्पण'' किया था और दावा किया था कि उसने ही महिला की हत्या की थी। उसे ही आखिरी बार मृतक के साथ देखा गया था। तदनुसार, वह शुरू में संदिग्धों में से एक था। हालांकि, जांच में ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया जिससे उसे आरोपी बनाया जा सके। बाद में, उसने बयान दिया कि वह 20 मिनट के लिए मृतक को अकेला छोड़ गया था और तभी आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी।
उसने यह भी बयान दिया कि वह और मृतक रास्ते के पास बैठ गए थे और दोनों ने शराब पी। हालांकि, मृतक के पेट और आंतरिक अंगों की सामग्री के वैज्ञानिक विश्लेषण से किसी भी एथिल अल्कोहल की उपस्थिति का पता नहीं चला। यह भी देखा गया कि मृतक के साथ बलात्कार के तथ्य से एक उचित निष्कर्ष निकलता है कि इसमें अन्य, एक या अधिक व्यक्ति शामिल थे।
डिवीजन बेंच ने कहा कि जुंगन का पूरा बयान और आचरण अत्यधिक संदिग्ध था, विशेष रूप से उन विरोधाभासों को देखते हुए जिनका विशेष रूप से उसने जिरह में सामना किया था। वास्तविक घटना के संबंध में उसका बयान बहुत ही अस्थिर और विसंगतियों से भरा पाया गया था।
इस कारण से अभियुक्तों को बरी करते समय कोर्ट ने कहा किः
''हमें जुंगन की गवाही के अलावा आरोपी को अपराध से जोड़ने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिस पर हम संदेह करें कि उसकी या तो खुद को बचाने या वास्तविक तथ्यों को छिपाने में दिलचस्पी है। घटना डेढ़ दशक से अधिक समय पहले हुई थी और यह तथ्य अकेले हमें आगे की जांच का आदेश देने से रोकता है, जो विशेष रूप से किसी भी वैज्ञानिक सबूत के अभाव में व्यर्थ होगी। एक महिला के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या की जाती है और अपराधी खुले घूम रहे हैं; बेचारी आत्मा का बदला नहीं लिया जाता है। हमें आरोपियों को बरी करने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।''
केस का शीर्षकः मणि व अन्य बनाम केरल राज्य
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