CAA के विरोध में व्हाट्सएप स्टेटस: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अभियुक्त को अपनी काउन्सलिंग हेतु सामाजिक कार्यकर्ता के समक्ष उपस्थित होने की शर्त पर जमानत दी

Update: 2020-12-03 11:25 GMT

Madhya Pradesh High Court

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गुरूवार (26 नवंबर) को एक याचिकाकर्ता (अनवर) को जमानत दे दी जिसके खिलाफ यह आरोप है कि उसने अपने व्हाट्सएप पर कथित रूप से एक धार्मिक सौहार्द्रता और लोक शांति को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाला स्टेटस लगाया था।

न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता (अनवर) को इस शर्त पर जनमत दी की वह माह फरवरी, मार्च व् अप्रैल 2021 के प्रथम सप्ताह में अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती रश्मि पाण्डेय के समक्ष काउन्सलिंग के लिए उपस्थित रहेगा और उनके दिए निर्देशों का पालन करेगा।

याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप यह है कि उसने नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (CAA) के पारित होने के तत्काल पश्च्यात उसके विरोध में अपना व्हाट्सएप स्टेटस अपडेट करते हुए लिखा कि "तुमने दिल्ली में एक गोली मारी हमने एमपी में और शाजापुर शाहीनबाग़ बना दिया (NO CAA NRC)।"

इस स्टेटस को धार्मिक सौहार्द्रता और लोक शांति विपरीत रूप से प्रभावित होने की संभावना पाते हुए, उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 एवं 505 (2) के अंतर्गत प्रकरण पंजीकृत किया गया था।

याचिकाकर्ता को 2 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया गया और तभी से वह निरोध में था और मामले में अन्वेषण करने के पश्च्यात, पुलिस द्वारा चार्जशीट भी फ़ाइल कर दी गयी है।

अदालत का आदेश

अपने आदेश में न्यायालय ने यह नोट किया कि याचिकाकर्ता ने प्रस्तावित किया है कि वह भविष्य में इस प्रकार की भावनाएं भड़काने वाला या राष्ट्रीय अस्मिता एवं अखंडता को प्रभावित करने वाला कोई कृत्य नहीं करेगा और इस आशय का शपथपत्र अधीनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत करेगा।

इसके पश्च्यात, याचिकाकर्ता को अधीनस्थ न्यायलय की संतुष्टि योग्य 30,000 का व्यक्तिगत बांड पेश करने पर रिहा किये जाने का आदेश दिया गया।

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, अदालत ने अपने आदेश में याचिकाकर्ता (अनवर) को काउन्सलिंग के लिए जाने की शर्त पर जमानत दी।

इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि श्रीमती पाण्डेय द्वारा याचिकाकर्ता (अनवर) के आचरण के सम्बन्ध में कोई विपरीत रिपोर्ट दी जाती है तो याचिकाकर्ता को दी गयी प्रतिभूति पर पुनर्विचार किया जा सकेगा।

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