हिरासत में पूछताछ से आप क्या हासिल करना चाहते हैं? : केरल हाईकोर्ट ने हेट स्पीच मामले में पीसी जॉर्ज की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को अभियोजन पक्ष से पूछा कि मुसलमानों के खिलाफ कथित बयानों को लेकर हेट स्पीच के मामले में राजनेता पीसी जॉर्ज द्वारा अग्रिम जमानत के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हिरासत में पूछताछ से क्या हासिल करना चाहते हैं।
जस्टिस गोपीनाथ पी. ने डीजीपी से मामले में निर्देश प्राप्त करने को कहा और नियमित जमानत की अर्जी के साथ कल दोपहर 1:45 बजे मामले की पोस्टिंग की।
उन्होंने कहा,
"मैं आपको जवाब देने के लिए उचित समय दूंगा। मैं आपको सुनने से पहले मामले का फैसला नहीं करना चाहता। लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि इस तरह के मामले में हिरासत में पूछताछ से आप क्या हासिल करना चाहते हैं?"
अदालत ने सोमवार को पूर्व विधायक को इस तथ्य पर विचार करते हुए अंतरिम अग्रिम जमानत दी कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए और 295ए के तहत तीन साल से कम कम की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही जॉर्ज 30 साल से ज्यादा समय से विधायक हैं और उनके फरार होने की संभावना नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट पी विजयभानु और अभियोजन पक्ष के डीजीपी टीए साजी पेश हुए।
पूर्व विधायक को पलारीवट्टोम पुलिस थाने में स्वत: संज्ञान लेते हुए आरोपी बनाया गया है। अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि उसने एर्नाकुलम के मंदिर में एक कार्यक्रम के समापन समारोह में आपत्तिजनक भाषण दिया। इस भाषण में कथित तौर पर विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाले बयान दिए गए थे। यह आगे आरोप लगाया गया कि यह भाषण जानबूझकर और दुर्भावना से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से किया गया।
विभिन्न मंचों पर प्रसारित इस भाषण में जॉर्ज ने 'लव जिहाद' सहित 'केरल में इस्लामिक जिहाद के बढ़ते खतरे' के बारे में बात की।
हालांकि उन्होंने मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत की मांग करते हुए सत्र न्यायालय का रुख किया, लेकिन पिछले हफ्ते इसे खारिज कर दिया गया। इसलिए, उन्होंने यह तर्क देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि सत्र न्यायालय मामले में शामिल तथ्यात्मक और कानूनी पेचीदगियों का मूल्यांकन करने में विफल रहा।
सांप्रदायिक आधार पर भाषण देने के मामले में दस दिनों के भीतर जॉर्ज के खिलाफ दर्ज किया गया यह दूसरा ऐसा मामला है। उन्होंने पहले मामले में पहले जमानत हासिल कर ली है, लेकिन बुधवार को उनकी जमानत शर्तों का उल्लंघन करने के कारण इसे रद्द कर दिया गया।
एडवोकेट जियो पॉल और एडवोकेट श्रुति एन. भट के माध्यम से दायर आवेदन में जॉर्ज ने आरोप लगाया कि इस मामले में अपराध आकर्षित नहीं होता।
याचिका में कहा गया,
"अभियोजन पक्ष ने पिक-एंड-चूस गेम का सहारा लिया और 40 मिनट के लंबे भाषण से कुछ छिटपुट वाक्यों को उजागर किया और एकतरफा इसे आक्रामक घोषित किया जो उचित नहीं है।"
उन्होंने दावा किया कि वह केवल राष्ट्र विरोधी और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ मामूली लोगों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। जॉर्ज ने तर्क दिया कि यह 'एक देशभक्त की अभिव्यक्ति है जो केवल राष्ट्र की अखंडता को बरकरार रखना चाहता है और सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता को उजागर करना चाहता है।'
राजनेता ने यह भी उल्लेख किया कि उन्होंने भाषण के दौरान वह पूरे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं बल्कि उन लोगों के खिलाफ बोल रहे थे, जो चरमपंथी बन गए हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश अवलोकन प्रामाणिक आंकड़ों पर आधारित है।
अग्रिम जमानत के आवेदन में यह भी कहा गया कि उक्त भाषण के वीडियो फुटेज को पहले ही जब्त कर लिया गया। इस मामले में हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है और अदालत द्वारा लगाए गए किसी भी शर्त से गुजरने के लिए तैयार है, जबकि यह इंगित करते हुए कि मामले में जांच लगभग समाप्त हो गई।
केस टाइटल: पी.सी. जॉर्ज बनाम केरल राज्य