वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए वीकेंड इंजीनियरिंग कोर्स 'मिनिंगफुल एजुकेशन' देने की अवधारणा के खिलाफ: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पार्ट टाइम तकनीकी एजुकेशन कोर्स को रेगुलर कोर्स के समान मानने की प्रथा पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह की समानता इस तथ्य के मद्देनजर अत्यधिक मनमानी लगती है कि रेगुलर बी.टेक. कंडिडेट को एडमिशन एग्जाम से गुजरना पड़ता है, जबकि वीकेंड या पार्ट टाइम कोर्स के लिए ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने कहा,
"सबसे बड़ी बात यह है कि किसी को यह नहीं पता होता कि किसी भी प्रतियोगी एग्जाम के अभाव में वीकेंड या पार्ट टाइम कोर्स में एडमिशन के लिए मानदंड क्या है। यह सब दर्शाता है कि यह काम करने वाले पेशेवर लोगों के लिए दर्जी की तरह बनाया गया कोर्स है। डिग्री प्राप्त करें, जिससे वे सेवा नियमों की बाधा को दूर कर सकें, जो डिग्री धारकों के लिए कुछ विशेष पदोन्नति के अवसर प्रदान करते हैं।"
जस्टिस अरुण मोंगा ने हरियाणा में जूनियर इंजीनियर के प्रमोशन से संबंधित मामले में यह टिप्पणी की। कोर्ट के सामने सवाल था कि क्या वीकेंड बीटेक. (सिविल इंजीनियरिंग) दीन बंधु छोटू राम विज्ञान और तकनीकी यूनिवर्सिटी, मुरथल के डिग्री प्रोग्राम को रेगुलर डिग्री के समकक्ष माना जा सकता है, भले ही कोर्स चलाने के लिए यूनिवर्सिटी के पास AICTE की मंजूरी न हो।
अदालत ने फैसला सुनाया कि AICTE की मंजूरी के बिना पार्ट टाइम बी.टेक कोर्स को रेगुलर डिग्री के बराबर नहीं माना जा सकता। इसके साथ इसने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि वह ऐसी डिग्री के साथ इन-सर्विस जूनियर इंजीनियरों को डिग्री धारकों के लिए निर्धारित कोटा के तहत अनुविभागीय अधिकारी के पद पर प्रमोट करने के क्षेत्र से बाहर कर दे।
यूनिवर्सिटी ने स्वयं महसूस किया कि वीकेंड कोर्स AICTE प्रारूप के अनुसार नहीं है। इस प्रकार, इसका नाम पार्ट टाइम कोर्स में बदलने का निर्णय लिया। हालांकि, AICTE ने इसके लिए कार्योत्तर मंजूरी देने से इनकार कर दिया। यूनिवर्सिटी ने बाद में प्रोग्राम को समाप्त कर दिया।
जस्टिस मोंगा ने निर्णय में कहा कि पार्ट टाइम कोर्स, जहां क्लासेस या तो दिन के आधार पर या वैकल्पिक दिनों में या शाम को भी आयोजित की जाती हैं, एक वीकेंड कोर्स की तुलना में बहुत अधिक स्तर पर खड़ा होता है, जहां क्लासेस सप्ताह में दो दिन होती है।
अदालत ने नज़रअंदाज ने किए जाने सकने वाले मानव मन की सीमित व्यापक क्षमता के पहलू को देखते हुए कहा कि यह अपेक्षा करना और यह कहना बहुत अधिक होगा कि जो व्यक्ति पहले ही सप्ताह के पांच (5) दिन लगातार थकाऊ काम से गुजरा है, उसके पास सप्ताह के 6वें और 7वें दिन अभी भी पूर्ण और सामान्य ऊर्जा और इंजीनियरिंग के अति विशिष्ट और तकनीकी विषय में 2 दिनों के गहन कक्षा अध्ययन से गुजरने और फिर से काम पर वापस जाने की क्षमता होगी? फिर यह क्रम बीच में बिना किसी ब्रेक के लगातार 4 साल तक इसी तरह चलता रहेगा।
जस्टिस मोंगा ने कहा,
"मेरी राय में यह सब 'स्वस्थ दिमाग विकसित करने के लिए सार्थक शिक्षा प्रदान करने' की अवधारणा के खिलाफ पूरी तरह से लगता है। कहने की जरूरत नहीं कि थका हुआ शरीर और मायूस दिमाग लगातार 5 दिनों तक लगातार काम करता है और फिर बाकी दिनों के लिए उसके पास इंजीनियरिंग के अत्यधिक तकनीकी विषय में गहन अध्ययन से जुड़े बी.टेक के लिए बैक टू बैक क्लासेस के साथ सप्ताह भर में कोर्स के विषय की गहराई से समझ और सराहना के लिए आवश्यक स्व-अध्ययन के लिए शायद ही कोई समय या ऊर्जा बचेगी।"
अदालत ने कहा कि यह विषय ज्ञान और व्यक्ति के मानसिक विकास में कोई वास्तविक वृद्धि किए बिना केवल कागजी डिग्री की ओर ले जाएगा, विशेष रूप से जब अध्ययन का विषय उच्च स्तर की तकनीकी और विशेषज्ञ प्रकृति का हो, जिसमें निरंतर और केंद्रित समझ की आवश्यकता होती है।
केस टाइटल: अरुण कुमार बनाम हरियाणा राज्य व अन्य और अन्य संबंधित मामले
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