'छह महीने तक गांव की महिलाओं के कपड़े धोना होंगे': बिहार कोर्ट ने महिला का शील भंग करने के आरोप में आरोपी पर जमानत की शर्त रखी

Update: 2021-09-24 02:45 GMT

बिहार की एक अदालत ने पिछले हफ्ते एक महिला का शील भंग करने के आरोपी एक व्यक्ति (पेशे से धोबी) को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वह छह महीने के लिए गांव की सभी महिलाओं के कपड़े मुफ्त में धोएगा और इस्त्री करेगा।

मधुबनी के झंझारपुर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार ने वकील के इस बयान को ध्यान में रखते हुए जमानत की यह शर्त रखी कि वह अपने पेशे से संबंधित सामुदायिक सेवा करने को तैयार है।

यह आरोप लगाया गया था कि जमानत आवेदक ने शिकायतकर्ता की शील भंग की थी और सोते समय उसके साथ बलात्कार करने का प्रयास किया था। उसके बाद उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (बी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

उसके वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि मामले को शिकायतकर्ता और जमानत आवेदक के बीच समझौता कर लिया गया था। शिकायतकर्ता मामले को आगे बढ़ाने के लिए इच्छुक नहीं है।

उसके वकील ने आगे कहा कि वह महिला के प्रति अपना सम्मान दिखाने के लिए सामुदायिक सेवा करने के लिए तैयार है।

इसलिए, उसकी हिरासत की अवधि और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि मामले से समझौता किया गया है और आरोप पत्र दायर किया गया, अदालत ने इस प्रकार आदेश देकर जमानत याचिका की अनुमति दी:

"याचिकाकर्ता मुखबिर/पीड़ित सहित मुखबिर के गांव की सभी महिलाओं के कपड़े छह महीने तक मुफ्त में धोएगा और इस्त्री करेगा। छह महीने पूरे होने के बाद मुखिया/सरपंच या किसी भी सम्मानित लोक सेवक से प्रमाण पत्र प्राप्त करेगा। इस प्रमाण पत्र को फिर गांव और संबंधित अदालत में फाइल करेगा।"

उसे 10,000/- के जमानत बांड पर जमानत दी गई है।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आदेश की प्रति मुखबिर के गांव के सरपंच को भेजी जाए और अगर वह जमानत की शर्त को पूरा करने में विफल रहता है, तो मुखिया को कोर्ट से संपर्क करने के लिए कहा गया।

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