वर्चुअल कोर्ट युवा सदस्यों के लिए खुद को पेशे में स्थापित करने का सुनहरा अवसर : न्यायमूर्ति चंद्रचूड़

Update: 2020-08-07 10:53 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट मेंं ट्रैफिक चालान के लिए शुरू की गई वर्चुअल कोर्ट, हाईकोर्ट में ई-फाइलिंग, इंटर-ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) आदि का ई-उद्घाटन किया गया।

भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने ई-समिति के अध्यक्ष के रूप में इस समारोह की अध्यक्षता की।

इस आयोजन की शुरूआत कर्नाटक हाईकोर्ट के  न्यायमूर्ति अरविंद कुमार ने की। उन्होंने बताया कि कर्नाटक में नौ हजार चालान किए गए और जुर्माना वसूला गया है। हालांकि, कागज रहित अदालतों के युग की शुरुआत करने की पहल के बाद अब न्यायाधीशों के साथ कोई संपर्क हुए बिना ही उल्लंघनकर्ता कहीं से भी जुर्माने का भुगतान कर सकते हैं।

इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ को कर्नाटक हाईकोर्ट की वर्चुअल कोर्ट के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया गया। वहीं एक व्याख्यान या प्रेजंटेशन के जरिए यह भी दिखाया गया कि ई-चालान प्रणाली कैसे काम करेगी, कैसे उल्लंघनकर्ताओं को उनके अधिकार क्षेत्र की अदालतों में भेजा जाएगा। इसके अलावा ई-फाइलिंग प्रणाली पेपरलेस फाइलिंग को बढ़ावा देने में मदद करेगी और लागत कम होगी।

प्रेजंटेशन के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एएस ओका और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने न्याय प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण के महत्व पर प्रकाश ड़ाला। क्योंकि कंप्यूटर एक उम्मीद की किरण है जो बदलाव की उम्मीद प्रदान करता है।

इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने उद्घाटन भाषण शुरू किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों का ई-उद्घाटन समारोह में स्वागत किया और कर्नाटक हाईकोर्ट को बधाई देते हुए कहा कि जिस तरीके से COVID19 की महामारी के समय में न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों को उन्होंने संभाला है,वह काफी सराहनीय है।

''COVID19  खत्म होने के बाद हमारे पास जस्टिस ओका की जो छवि होगी,वो यह होगी कि उन्होंने वायरस से संक्रमित स्टाफ के एक सदस्य का स्वागत गुलाब के फुल के साथ किया था। यह मामला इस कठिन समय में संवेदनशीलता और सहानुभूति को दर्शाता है।''

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इसके बाद वुर्चअल कोर्ट के फायदों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि वुर्चअल कोर्ट पेशे के युवा सदस्यों को खुद को स्थापित करने का अवसर प्रदान करेगी। वहीं महिला सदस्य अपने घरों से आराम से अदालतों में उपस्थित हो पाएंगी।

उन्होंने कहा कि,''यह पेशे के युवा सदस्यों के लिए खुद को स्थापित करने का एक जबरदस्त अवसर है। वहीं इससे पेशे की महिला सदस्यों को भी अपने घरों से ही अदालत में उपस्थित होने की अनुमति मिलेगी।''

इसके बाद उन्होंने वर्चुअल कोर्ट की सकारात्मकता पर प्रकाश ड़ाला और कहा कि 101.74 करोड़ रुपये जुर्माना वसूल लिया गया है। जबकि इसके लिए नागरिकों को अदालत में भी नहीं जाना पड़ा है। इसके अलावा, मामलों में देरी के कारण को सूचीबद्ध करने के लिए एक कॉलम भी जोड़ा गया है। जो देरी के कारणों को वर्गीकृत करेगा और निर्णय लेने की प्रक्रिया में मदद करेगा।

''हमने मामलों की स्मार्ट-लिस्टिंग में न्यायाधीशों की मदद की है ताकि मामलों को एक ही बार में सूचीबद्ध किया जाए और न्यायपालिका पर बोझ कम हो। ताकि जब कोई वकील एक समय में किसी मामले में व्यस्त हो तो उस समय उसकी किसी अन्य मामले में आवश्यकता न पड़े।''

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आईसीजेएस का भी उल्लेख किया। जो एक महत्वपूर्ण प्रणाली है और आपराधिक न्याय प्रशासन के सभी महत्वपूर्ण हितधारकों और संस्थागत हितधारकों को जोड़ने में मदद करेगी,जैसे कि पुलिस, जेल आदि। ''यह डेटा-ट्रेसिंग और मामलों को जल्दी से निपटाने में भी मदद करेगा।''

उन्होंने समारोह का समापन करते हुए कहा कि यह एक सहयोगात्मक प्रयास है। जिसके लिए सभी संगठनों को एक बोर्ड पर होना चाहिए और संयुक्त पहल करनी चाहिए।

कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति जॉन माइकल कुन्हा ने सभी का धन्यवाद किया और इसी के साथ समारोह का समापन किया गया।

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