श्रीनगर कोर्ट ने गुलमर्ग फैशन शो के आयोजकों के खिलाफ अश्लीलता का मामला किया खारिज
अदालत ने माना कि कार्यक्रम की व्यापक योजना में दो मॉडलों द्वारा छोटे कपड़े या स्विमवियर पहनना अश्लीलता के दंडनीय अपराध को आकर्षित नहीं करता, क्योंकि केवल पोशाक ही अश्लील नहीं मानी जाती है जब तक कि वह कामुक रुचि जगाने के लिए डिज़ाइन न की गई हो।
कोर्ट गुलमर्ग में आयोजित फैशन शो के आयोजकों के खिलाफ आपराधिक शिकायत पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें आरोप लगाया गया कि कार्यक्रम में अश्लील सामग्री और रमजान के पवित्र महीने के दौरान सार्वजनिक रूप से शराब का सेवन मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाता है।
विशेष मोबाइल मजिस्ट्रेट फैजान नज़र ने अवीक सरकार बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के सामुदायिक मानक परीक्षण पर भरोसा करते हुए कहा कि शिकायत में बताए गए तथ्यों को अगर कार्यक्रम के व्यापक संदर्भ में देखा जाए तो अपराध का खुलासा नहीं होता है।
अदालत ने यह भी कहा कि शराब के सार्वजनिक उपभोग के संबंध में आबकारी अधिनियम निजी व्यक्तियों द्वारा की गई शिकायत पर अपराध का संज्ञान लेने पर रोक लगाता है। केवल पुलिस या उपायुक्त को अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।
कोर्ट ने कहा कि उपायुक्त ने कार्यक्रम के लिए वैध 4 घंटे का शराब परमिट जारी किया था और शिकायतकर्ता अधिक से अधिक उक्त लाइसेंस के उल्लंघन के बारे में संबंधित के पास शिकायत दर्ज करा सकता है, जो उसके बाद मामले की जांच कर सकता है लेकिन निजी शिकायत दर्ज नहीं की जा सकती।
अदालत ने यह भी कहा कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध (धारा 299 BNS) पर संज्ञान लेने से पहले धारा 217 BNSS के तहत राज्य या केंद्र सरकार से पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य है।
कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा ऐसी कोई मंजूरी नहीं दी गई और मंजूरी के अभाव में अदालत संज्ञान के साथ आगे नहीं बढ़ सकती।
अदालत ने शिकायत खारिज की और माना कि जम्मू-कश्मीर आबकारी अधिनियम की धारा 296, 299 या BNS की धारा 50-ए के तहत कोई अपराध नहीं बनता।
अदालत ने कहा कि शिकायत अश्लीलता, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने या अवैध शराब के सेवन के लिए कानूनी सीमाओं को पूरा नहीं करती है।
मामला
शिकायतकर्ता ने मार्च 2025 में गुलमर्ग में आयोजित एक फैशन शो के आयोजकों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की।
उन्होंने आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम में अश्लील सामग्री थी, यह रमजान के पवित्र महीने के दौरान हुआ था। इसमें सार्वजनिक रूप से शराब का सेवन शामिल था।
उन्होंने दावा किया कि इन सभी ने मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई, खासकर कश्मीर में।
शिकायत में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 296, 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना और अश्लीलता) और जम्मू-कश्मीर आबकारी अधिनियम की धारा 50-ए के तहत अपराध दर्ज किए गए।
टाइटल: आदिल नजीर खान बनाम निदेशक शिवन और नरेश और अन्य 2025