'यात्रा के लिए अभियुक्त के वाहनों के इस्तेमाल के बदले कृपा बरसा रहा अधिकारी' : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी को निलंबित किया
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अल्मोड़ा के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) / न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया है और उन्हें जिला जज मुख्यालय, देहरादून के साथ सम्बद्ध कर दिया है।
न्यायिक अधिकारी के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि वह और उनके परिवार के सदस्य चंद्र मोहन सेठी नामक अभियुक्त के निजी वाहनों का इस्तेमाल दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा स्थित अपने परिजनों के घरों तक यात्रा के लिए करते रहे हैं।
गौरतलब है कि न्यायिक अधिकारी और उनके परिजन कथित तौर पर चंद्र मोहन सेठी नामक जिस अभियुक्त के निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं, उसके खिलाफ अल्मोड़ा स्थित सिविल जज (सीनियर डिवीजन) / न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आपराधिक मामला लंबित है, जिसकी अध्यक्षता अभिषेक कुमार श्रीवास्तव कर रहे हैं।
हाईकोर्ट की ओर से 22 फरवरी को जारी ऑफिस मेमोरेंडम कहता है,
"श्री अभिषेक कुमार श्रीवास्तव, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) / न्यायिक मजिस्ट्रेट, अल्मोड़ा, के खिलाफ गम्भीर शिकायत प्राप्त हुई है, जिस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई को लेकर विचार किया जाता है, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है।"
मेमोरेंडम में यह भी उल्लेख किया गया है कि रिकॉर्ड को देखने से यह पाया गया है कि 'वह (न्यायिक अधिकारी) अभियुक्त चंद्र मोहन सेठी पर कृपा दृष्टि बनाये हुए हैं और इसके लिए उन्होंने उस अभियुक्त का केस बगैर किसी कारण अलग कर दिया है।'
महत्वपूर्ण तौर पर, मेमोरेंडम में आगे कहा गया है,
"कि अभिषेक कुमार श्रीवास्तव का उपरोक्त कार्य और व्यवहार उनकी सत्यनिष्ठा पर गम्भीर संदेह पैदा करते हैं, यह गम्भीर कदाचार की श्रेणी में आता है और उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली, 2002 के नियम 3(1), 3(2) और नियम 30 का उल्लंघन है। एक न्यायिक अधिकारी का कथित आचरण अशोभनीय है।"
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पिछले माह पटना हाईकोर्ट ने एक आदेश जारी करके मोतिहारी के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सुधीर कुमार सिन्हा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है हिन्दी न्यूज पोर्टल प्रभात खबर में प्रकाशित खबर के अनुसार, पटना हाईकोर्ट ने एक विवादित जमानत आदेश जारी करने के कारण मोतिहारी के सीजेएम सुधीर कुमार सिन्हा के खिलाफ यह कार्रवाई की है।
उन्हें बिहार न्यायिक सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2020 के नियम (6) के उप नियम (1) में प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करके निलंबित किया गया है।
इतना ही नहीं, दिसम्बर 2020 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने देहरादून के जिला जज प्रशांत जोशी को निलंबित कर दिया था। श्री जोशी ने जिला जज, देहरादून का आधिकारिक बोर्ड एक निजी ऑडी कार पर लगाकर इसमें 21 और 22 दिसम्बर 2020 को कैम्प कोर्ट की यात्रा की थी।
एक अन्य मामले में, उत्तराखंड हाईकोर्ट के फुल बेंच के प्रस्ताव और राज्य सरकार की सिफारिश को मंजूर करते हुए उत्तराखंड सरकार ने पिछले वर्ष एक सिविल जज को सेवा से मुअत्तल कर दिया था। उनके खिलाफ उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित अपने आवास पर घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने वाली नाबालिग लड़की (13 वर्ष) को उत्पीड़ित करने के आरोप थे।
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