कैंसर रोगियों और उनके माता-पिता को मुफ्त आवास सेवाएं प्रदान करने के लिए आवासीय परिसर का उपयोग करना हॉस्पिटल एक्टिविटी नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2023-11-30 05:12 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस सूरज गोविंदराज ने हाल ही में कैंसर के इलाज से गुजर रहे बच्चों और उनके माता-पिता को मुफ्त आवास सेवाओं सहित सहायक देखभाल प्रदान करने वाले गैर-लाभकारी संगठन को बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) द्वारा जारी नोटिस रद्द कर दिया।

कुछ पड़ोसियों से प्राप्त शिकायत के आधार पर गैर-लाभकारी संगठन "एक्सेस लाइफ असिस्टेंस फाउंडेशन" को जारी किए गए नोटिस में कहा गया कि यह आवासीय परिसर को कैंसर अस्पताल के रूप में उपयोग कर रहा है और आवश्यक व्यापार लाइसेंस या अन्यथा के बिना इसकी अनुमति नहीं है।

याचिकाकर्ता-संगठन ने याचिका दायर कर दावा किया कि यह गैर-लाभकारी संगठन है, जो कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड है। यह उन परिवारों को बहु-विषयक सहायक देखभाल मुहैय्या करता है, जो अपने बच्चों के कैंसर के इलाज के लिए आते हैं। इन देखभाल सुविधाओं में नि:शुल्क अस्थायी आवास भी शामिल है, क्योंकि ऐसे बच्चे अस्पताल में भर्ती नहीं होते हैं।

प्रारंभिक सुनवाई पर अदालत ने नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि परिसर का निरीक्षण किया जाए। साथ ही तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड पर रखे जाएं, जिससे परिसर में अस्पताल की कोई गतिविधि चल रही है या नहीं, इसका पहलू सामने आ सके और उसे सत्यापित किया जाए।

दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर गौर करते हुए बेंच ने कहा,

"... विचाराधीन परिसर का उपयोग केवल कैंसर प्रभावित बच्चों और उनके माता-पिता या अभिभावकों के लिए आवास और आवास सुविधा के रूप में किया जा रहा है और वहां कोई मशीनरी, उपकरण या अन्य सुविधा नहीं है। बच्चों के इलाज के लिए परिसर में सुविधाएं उपलब्ध हैं और परिसर में ऐसा कोई इलाज उपलब्ध नहीं कराया गया।”

यह देखा गया कि तस्वीरों में संपत्ति में किसी भी उपकरण का संकेत नहीं मिला।

इससे यह निष्कर्ष निकाला,

"मेरी सुविचारित राय है कि उत्तरदाताओं द्वारा जो नोटिस जारी किया गया, जिसमें दावा किया गया कि परिसर का उपयोग अस्पताल चलाने के लिए किया गया है, उसे कायम नहीं रखा जा सकता।"

याचिका स्वीकार करते हुए अदालत ने टिप्पणी की,

"...इलाज करा रहे व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों से कोई फीस लिए बिना आवासीय या आवास उद्देश्यों के लिए परिसर का उपयोग हॉस्पिटल एक्टिविटी नहीं कहा जा सकता।"

याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट आर रंगनाथ रेड्डी उपस्थित हुए और वकील के.एस. मल्लिकार्जुन रेड्डी उत्तरदाताओं की ओर से उपस्थित हुए।

केस टाइटल: डॉ. सी. विश्वनाथ रेड्डी और अन्य बनाम आयुक्त बीबीएमपी और अन्य, रिट याचिका नंबर 21639/2023

ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




Tags:    

Similar News