उपहार अग्निकांड: साक्ष्य छेड़छाड़ मामले में अंसल बंधुओं की जल्द रिहाई के खिलाफ याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2022-09-05 09:17 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को उपहार त्रासदी के पीड़ितों के संघ (एवीयूटी) द्वारा दायर उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। इस आदेश में रियल एस्टेट बैरन सुशील अंसल और गोपाल अंसल को वर्ष 1997 में हुई उपहार अग्निकांड के संबंध में मामला में समय पहले से ही जेल की सजा के खिलाफ रिहा किया गया।

जस्टिस आशा मेनन की एकल न्यायाधीश की पीठ ने मामले को 11 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए राज्य के साथ-साथ अंसल बंधुओं से जवाब मांगा।

राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट दयान कृष्णन ने कहा कि पीड़ित पक्ष याचिका का समर्थन करता है और आक्षेपित आदेश के खिलाफ अपील दायर करेगा।

अंसल को सीएमएम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में प्रत्येक को 7 साल की जेल की सजा सुनाई। हालांकि, जुलाई में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायालय ने उन्हें पहले से ही गुजर चुकी अवधि के विरुद्ध रिहा कर दिया।

एवीयूटी द्वारा दायर आपराधिक पुनर्विचार याचिका में तर्क दिया गया कि ट्रायल कोर्ट यह विचार करने में विफल रहा कि छेड़छाड़ का अपराध प्रकृति में अत्यंत गंभीर है, क्योंकि यह संपूर्ण आपराधिक न्याय प्रणाली को प्रभावित करता है।

याचिका में कहा गया,

"यह न्याय के प्रशासन में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप है। इस प्रकार दोषी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के अपराध के लिए दोषी को सजा देते समय गंभीर विचार की आवश्यकता है।"

यह भी प्रस्तुत किया गया है कि ट्रायल कोर्ट किए गए अपराध और लगाए गए दंड के बीच आनुपातिकता के सिद्धांत पर विचार करने में विफल रहा।

याचिका में कहा गया कि सजा सुनाते समय अपराध की प्रकृति और जिस तरह से अपराध किया गया है, उस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा फरवरी में पारित आदेश पर भी भरोसा किया गया, जिसमें अंसल द्वारा मामले में उनकी सात साल की जेल की अवधि को निलंबित करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी गई।

एसोसिएशन ने दावा किया कि ट्रायल कोर्ट हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों पर विचार करने में विफल रहा।

केस टाइटल: उपहार त्रासदी के पीड़ितों का संघ बनाम एनसीटी राज्य दिल्ली और अन्य।

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