उमेश पाल अपहरण मामले में प्रयागराज एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद / विधायक अतीक अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई। उस पर 5 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
कोर्ट ने इस मामले में अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ को दोषी करार दिया। कोर्ट ने आईपीसी की धारा 364 A के तहत इन्हें दोषी ठहराया। कोर्ट ने अतीक के भाई अशरफ अहमद सहित सात आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया है। अतीक और उसके भाई दोनों पर पिछले महीने उमेश पाल की हत्या की साजिश रचने का भी आरोप है।
उमेश पाल बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का चश्मदीद गवाह था। उनका 2006 में अपहरण कर लिया गया था और उन्हें अतीक और अन्य के खिलाफ सबूत नहीं देने के लिए मजबूर किया गया था। इस मामले में एफआईआर उमेश पाल ने जुलाई 2007 में दर्ज कराई थी। उमेश पाल ने अपनी शिकायत में कहा था कि 28 फरवरी 2006 को अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ अपने साथियों के साथ आया और उमेश को उठाकर अपने दफ्तर ले गया। वहां उमेश को जमकर मारा-पीटा गया और गवाही पलटने को कहा। ऐसा नहीं करने पर जान से मारने की धमकी दी। उमेश पाल ने पांच लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने जब जांच की तो और भी लोगों के नाम इसमें शामिल किए गए।
क्या है पूरा मामला समझ लीजिए
ताऱीख 25 जनवरी, 2005। जगह-प्रयागराज। राजू पाल की दिनदहाड़े प्रयागराज की सड़कों पर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। राजू पाल उस समय मायावती की बसपा के विधायक थे। उमेश पाल इस केस में गवाह थे। आरोप है कि उमेश पाल की गवाही रोकने के लिए 28 फरवरी 2006 को उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया। इसके एक साल बाद उमेश पाल ने प्रयागराज के धूमनगंज थाने में साल 2007 में केस दर्ज करवाया। 2007 में यूपी में मायावती की सरकार बन गई थी। मायावती की सरकार बनने के बाद इस एक साल पुराने केस में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें कुल 11 लोगों को नामजद किया गया जिसमें अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का नाम भी शामिल था।