यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों ने गंवाई सीटें: दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज की सीटें बढ़ाने की याचिका को मंजूरी देते हुए कहा

Update: 2022-03-18 02:00 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने संतोष ट्रस्ट द्वारा संचालित और प्रबंधित चिकित्सा शिक्षण संस्थान में विभिन्न स्नातकोत्तर और स्नातक पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या में वृद्धि का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि ट्रस्ट को पहले महाराजी एजुकेशनल ट्रस्ट के रूप में जाना जाता था।

यूक्रेन और रूस के बीच हालिया संघर्ष के मद्देनजर जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि कई हजार भारतीय मेडिकल छात्रों को बचाया गया, जो यूक्रेन में चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने गए थे। उन्होंने मेडिकल कॉलेजों में अपनी सीटें भी खो दी हैं।

न्यायालय ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और अन्य प्रतिवादी अधिकारियों को एक निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर संस्थान को अनुमति देने का निर्देश दिया। साथ ही कोर्ट ने एमएस (ऑब्‍स्टेट्रिक्स और गॉयनेकोलॉजी) में सीटों को 4 से बढ़ाकर 7 करने, एमएस (ऑर्थोपेडिक्स) में 3 से बढ़ाकर 7 करने और एमबीबीएस कोर्स में 100 से बढ़ाकर 150 तक करने का निर्देश दिया।

कोर्ट नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा जारी किए गए अस्वीकृति पत्रों के खिलाफ दायर एक याचिका पर विचार कर रहा था, जिसमें मेडिकल कॉलेज में बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) पाठ्यक्रम के साथ-साथ एमएस (ऑब्‍स्टेट्रिक्स और गॉयनेकोलॉजी) और एमएस (ऑर्थोपेडिक्स) के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सीटों की वृद्धि के लिए याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था।

याचिकाकर्ताओं ने दिनांक 22.12.2021 के आदेश को भी चुनौती दी थी, जिसके जरिए प्रतिवादियों ने 100 एमबीबीएस सीटों के लिए अपनी मौजूदा मान्यता को जारी रखने के लिए उक्त कॉलेज के अंतरिम निरीक्षण का निर्देश दिया था।

इसलिए न्यायालय ने दोनों आक्षेपित आदेशों को टिकाऊ नहीं बताते हुए रद्द कर दिया और निर्देश दिया कि मेडिकल कॉलेज में सीटों को यह ध्यान में रखते हुए बढ़ाया जाए कि चिकित्सा संस्थान के बुनियादी ढांचे में कोई कमी ना हो, इस तथ्य के साथ कि प्रारंभिक निरीक्षण में पाई गई नैदानिक ​​सामग्री की कमी को अन्य निरीक्षण में सुधारा जाए।

न्यायालय का विचार था कि वर्तमान मामले में, याचिकाकर्ता संस्थान मेडिकल कॉलेज में सीटों की वृद्धि की अनुमति मांग रहा था और यह एक सर्वविदित तथ्य है कि भारत में बड़ी संख्या में उम्मीदवार चिकित्सा शिक्षा पाने के लिए प्रयासरत हैं और वे प्रत्येक अतिरिक्त सीट के लिए हर साल आवेदन करतें हैं। ऐसे मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की बहुत मांग है।

अदालत ने कहा,

"इसलिए इन मेडिकल कॉलेजों को भी अपने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी दी जाती है और यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि चिकित्सा पेशे में आवश्यक पेशेवर नैतिकता के मानकों का पालन किया जाए।"

न्यायालय का यह भी विचार था कि बैंकों या वित्तीय संस्थानों के इशारे पर किसी चिकित्सा संस्थान के खिलाफ कुछ अदालती मामलों का लंबित होना, किसी सक्षम न्यायालय द्वारा पारित किसी भी संयम आदेश के अभाव में, संस्था को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 की धारा 29 के तहत पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करने के रूप में माने जाने का आधार नहीं हो सकता है।

कोर्ट ने कहा, "इसके अलावा, याचिकाकर्ता संस्थान एक नए कॉलेज के रूप में मान्यता की मांग नहीं कर रहा है, लेकिन केवल उपलब्ध बुनियादी ढांचे के आधार पर सीटों की संख्या में वृद्धि की मांग कर रहा है, जो कि बुनियादी ढांचे को उत्तरदाताओं द्वारा किए गए निरीक्षण में संतोषजनक पाया गया है।"

तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।

केस शीर्षक: संतोष ट्रस्ट और अन्य राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और अन्‍य।

सिटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 206

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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