राहुल गांधी ने अमेरिका यात्रा के दौरान की गई टिप्पणियों पर खुद को बताया 'सच्चा देशभक्त', कहा- सिख समुदाय के हित में बोला
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने वाराणसी कोर्ट के समक्ष अपना जवाब दाखिल किया। गांधी इसमें अमेरिका की यात्रा (सितंबर 2024 में) के दौरान सिखों के बारे में कथित रूप से भड़काऊ टिप्पणी करने के लिए उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली पुनरीक्षण याचिका का विरोध किया गया।
एमपी/एमएलए कोर्ट के समक्ष दायर लिखित जवाब में गांधी ने कहा कि नागेश्वर मिश्रा द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका राजनीति से प्रेरित है। उनके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई शुरू करने का कोई कानूनी आधार नहीं है।
खुद को 'सच्चा देशभक्त' बताते हुए गांधी ने कहा कि सिख समुदाय सहित सभी धर्मों और समुदायों के प्रति उनके मन में गहरा सम्मान है। उनकी टिप्पणी वास्तव में "सिख समुदाय के हित में और उनके योगदान को उजागर करने के लिए" थी।
गांधी ने तर्क दिया,
"अमेरिका यात्रा के दौरान दिया गया बयान विशेष समुदाय (सिखों) पर पूरे विश्व में हो रहे अत्याचारों के संबंध में है, जो सिख समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि सिख समुदाय के सम्मान और उनके हित में दिया गया और भारत के बाहर दिया गया, इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे सिख समुदाय का अपमान हुआ हो या उक्त समुदाय के किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंची हो।"
उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जिससे समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा हो और न ही उनके शब्दों के पीछे कोई आपराधिक इरादा था।
गांधी ने अपने जवाब में तर्क दिया,
"...उपरोक्त समाचार को भारत के 140 करोड़ नागरिकों ने देखा और सुना, लेकिन संशोधनवादी को छोड़कर किसी अन्य भारतीय को इससे कोई सरोकार नहीं था, जिससे स्पष्ट है कि उपरोक्त समाचार/बयान में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।"
गांधी ने आगे कहा कि शिकायत राजनीतिक दुर्भावना से उत्पन्न हुई और उनके खिलाफ कानून के तहत कोई अपराध नहीं बनता। उनके जवाब में यह भी कहा गया कि भारत के बाहर किए गए कथित अपराध के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 208 के प्रावधान में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना भारत में ऐसे किसी अपराध की जांच या सुनवाई नहीं की जा सकती।
बता दें, पिछले साल मिश्रा द्वारा एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि गांधी ने अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान यह कहते हुए आपत्तिजनक बयान दिया कि भारत में सिखों के बीच असुरक्षा का माहौल है। उनकी याचिका में आरोप लगाया गया कि यह बयान उकसावे वाला था और ऐसा करके वह लोगों को अपने राजनीतिक हितों के लिए लड़ने के लिए उकसा रहे थे।
उनकी याचिका को अदालत ने 28 नवंबर, 2024 को खारिज कर दिया था, जिसके बाद मिश्रा ने तत्काल पुनर्विचार याचिका दायर की, जिस पर पहले गांधी को नोटिस जारी किया गया था।