ट्रांसजेंडर ने माता-पिता द्वारा कथित तौर पर कस्टडी में रखे गए उसके प्रेमी को पेश करने की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया
एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति ने प्रेमी (लड़की) को पेश करने की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसे उसके माता-पिता ने कथित तौर पर कस्टडी में रखा है।
न्यायमूर्ति श्रीकांत डी. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति वी. के. जाधव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए ए.पी.पी. से मामले में विशेष निर्देश लेने को कहा।
याचिकाकर्ता के मामले के अनुसार, ट्रांसजेंडर व्यक्ति यानी पूजा कुमारी @ बनी प्रजापति और एक लड़की, जिसे पूजा नाम से भी जाना जाता है, स्वेच्छा से एक-दूसरे के साथ रहते हैं और वे एक-दूसरे से प्यार करते हैं।
हालांकि, लापता लड़की पूजा के माता-पिता द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, कोटा (राजस्थान) की अदालत में लापता लड़की और वर्तमान याचिकाकर्ता के संबंध में कार्यवाही शुरू की गई थी।
माता-पिता ने वाशी पुलिस स्टेशन, जिला उस्मानाबाद में एक गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई और उसके बाद याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार, लापता लड़की का पता लगाया गया और उसे लापता रिपोर्ट के संबंध में उस्मानाबाद लाया गया।
वकील ने प्रस्तुत किया कि इसके बाद जांच अधिकारी ने अदालत के किसी भी आदेश के बिना, लड़की की कस्टडी माता-पिता को सौंप दी।
वकील ने प्रस्तुत किया कि लापता लड़की अब अपने माता-पिता की कस्टडी में है और वह अक्सर याचिकाकर्ता को मैसेज भेज रही है। हालांकि लड़की के माता-पिता उसे याचिकाकर्ता से मिलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
यह भी तर्क दिया गया कि लड़की बालिग है और उसे उसके माता-पिता ने अवैध रूप से कस्टडी में रखा है और इसलिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में उसे अदालत में पेश करने की मांग की गई है।
न्यायालय ने एपीपी से निर्देश प्राप्त करने को कहा और याचिकाकर्ता के वकील को न्यायालय के समक्ष पेश करने का समय भी दिया। नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018) 10 एससीसी 1 के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति की सामाजिक स्थिति और "सामान्य व्यक्ति" पर विचार किया है, यदि वह ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ सहमित से रहता है।
मामले को आगे की सुनवाई के लिए 31 अगस्त की तारीख तय की गई है।
संबंधित समाचारों में, मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने अपने 23 वर्षीय प्रेमी रेवती को उसके पिता की गैरकानूनी कस्टडी से रिहा करने का निर्देश देकर एक ट्रांसमैन और उसके प्रेमी को फिर से मिला दिया। अदालत याचिकाकर्ता ट्रांसमैन द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर फैसला सुना रही थी, जिसमें उसके प्रेमी रेवती को अवैध रूप से कस्टडी में रखने और कैद करने का आरोप लगाया गया था और तदनुसार उसने अपने प्रेमी को आज़ाद करने के लिए अदालत की अनुमति मांगी थी।
न्यायमूर्ति वी. भारतीदासन और न्यायमूर्ति जे. निशा बानो की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अपने प्रेमी के साथ साझा किए गए संबंध संविधान के तहत संरक्षित और अनुमत दोनों हैं।
बेंच ने कहा था कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि रेवती एक बालिग लड़की है और वह उसकी इच्छा से याचिकाकर्ता के साथ जाने को तैयार है। हम उसे याचिकाकर्ता के साथ जाने की अनुमति देते हैं।
केस का शीर्षक - पूजा कुमारी @ बनी प्रजापति बनाम महाराष्ट्र राज्य एंड अन्य