बिना कामुक आशय के सिर्फ गालों को छुना POCSO के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध को आकर्षित नहीं करेगा : बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को POCSO एक्ट (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम) (Protection of Children from Sexual Offences Act– POCSO) के तहत विभिन्न अपराधों के आरोप में गिरफ्तार गए एक आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि कामुक आशय (sexual intent) के बिना सिर्फ गालों को छूना 'यौन उत्पीड़न' के अपराध को आकर्षित नहीं करेगा, जैसा कि POCSO अधिनियम की धारा 7 के तहत परिभाषित किया गया है।
न्यायमूर्ति संदीप के शिंदे की पीठ ने 46 वर्षीय व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर सामग्री का प्राथमिक मूल्यांकन यह नहीं बताता है कि उसने कथित तौर पर यौन (कामुक) आशय से पीड़िता के गालों को छुआ था।
आवेदक चिकन सेंटर चलाता है और उस पर 8 वर्षीय बच्ची का यौन शोषण करने का आरोप लगाया गया है। पीड़िता की मां ने प्राथमिकी दर्ज कराई जिसमें उसने कहा, कि आवेदक ने अपनी दुकान के अंदर उसकी बेटी के गाल छुए।
उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 354 और पोक्सो अधिनियम, 2021 की धारा 8, 9 (एम), 10 और 12 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद आवेदक को गिरफ्तार किया गया और जांच करके अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि POCSO अधिनियम की धारा 7 निम्नलिखित शब्दों में यौन हमले को परिभाषित करती है:
"जो कोई भी यौन इरादे से बच्चे की योनि, लिंग, गुदा या स्तन को छूता है या बच्चे को ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति की योनि, लिंग, गुदा या स्तन को छूता है, या यौन इरादे से कोई अन्य कार्य करता है, जिसमें बिना पैनिट्रेशन के शारीरिक संपर्क शामिल है, उसे यौन हमला करना कहा जाता है।"
मामले की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने 25,000/- रुपये की राशि का पीआर बांड भरने पर इतनी ही राशि के एक या अधिक जमानतदार पेश करने पर आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया।
केस का शीर्षक - मोहम्मद अहमद उल्ला बनाम महाराष्ट्र राज्य