तीस हज़ारी अदालत ने बहुत ही ज़रूरी मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से करने के लिए दिशा निर्देश जारी किये
दिल्ली की तीस हज़ारी अदालत ने ज़मानत और अन्य त्वरित मामलों की सुनवाई को लेकर व्यापक दिशानिर्देश जारी किये हैंं।
ये दिशानिर्देश ज़िला और सत्र जज धर्मेश शर्मा ने जारी किये जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की प्रक्रिया में पक्षकारों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की बातें शामिल हैं।
ये दिशानिर्देश 18 अप्रैल 2020 से लागू होंगे और अगले आदेश तक लागू रहेंगे।
त्वरित सुनवाई के लिए judicialbrwt.ddc@gov.in पर जाकर आवेदन करना होंगा। आवेदन में एफआईआर का विवरण, अपराध संबंधित पुलिस थाने का नाम और वकालतनामा या आवेदक/आरोपी के पति या पत्नी या परिवार के सदस्य का आधिकारिक पत्र की स्कैन कॉपी भी भेजना होगा।
एडवोकेट का पूरा नाम, बार में उसका पंजीकरण नंबर, उसका संपर्क नंंबर और ईमेल का होना अनिवार्य है। सभी दस्तावेज पीडीएफ फ़ॉर्मैट में हों, पेज नंबर उस पर हो और बुकमार्क किया हो।
मेल की नियमित रूप से जांंच वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, न्यायिक तृप्ता दीवान अन्य अधिकारियों के सहयोग से करेंगी। ज्यों ही ज़मानत का या कोई अन्य आवेदन या उत्तर मेल पर आएगा, वरिष्ठ एओजे इसकी सूचना फ़सिलिटेशन सेंटर काउंटर पर ऑफ़िसर इनचार्ज को देंगे जो इसका प्रिंट लेकर नियम के अनुसार इसका पंजीकरण कर लेंगे और इसकी हार्ड कॉपी अदालत के सामने पेश किया जाएगा।
कम्प्यूटर सेंटर के कुलदीप नोडल अधिकारी होंगे जो ईमेल के माध्यम से आनेवाले ज़मानत के आवेदनों का रेकर्ड रखेंगे (8750872266 और ईमेल : kuldeepsonu83@gmail.com)
कुलदीप इसके बाद, ज़मानत के आवेदन को उस नोडल अधिकारी को भेजेंगे जिसे संबंधित डीसीपी ने नियुक्त किया है ताकि आईओ से इस बारे में जवाब प्राप्त किया जा सके।
अगर ज़मानत का आवेदन किसी दिन 2 बजे दिन से पहले फ़ाइल किया गया है तो इसका जवाब ईमेल ( judicialbrwt.ddc@gov.in) के माध्यम से अगले दिन 10 सुबह तक प्राप्त किया जाएगा और जहाँ ज़मानत का आवेदन इस समय के बाद प्राप्त किया गया तो इसका जावाब इसके अगले कार्यदिवस को प्राप्त किया जाएगा।
मुक़दमादार/वक़ील और लोक अभियोजक को अपनी दलील A4 साइज़ के काग़ज़ पर ईमेल या अगर वे चाहें तो सिस्को वेबेक्स के माध्यम से भेज सकते हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई संबंधित अदालत की इच्छानुसार 10 बजे सुबह से 5 बजे शाम के बीच होगी।
अगर कोई मुक़दमादार/वक़ील बहस करना चाहता है तो संबंधित अदालत के परामर्श से इसके लिए समय और तिथि का निर्धारण किया जाएगा और ईमेल के माध्यम से इसकी जानकारी सभी संबंधित अधिकारियों और पक्षों को भेज दी जाएगी।
सुनवाई के दिन वीडियो कंफ्रेंसिंग की सारी व्यवस्था पूरी की जाएगी और सभी पक्ष सिस्को वेबेक्स से एक प्लैट्फ़ॉर्म पर होंगे जिसके बाद सुनवाई शुरू होगी। संबंधित अदालत अपना आधिकारिक लैपटॉप या डेस्कटॉप भी प्रयोग कर सकते हैं जो वेब-कैम से जुड़ा होना चाहिए।
ज़मानत का आदेश प्राप्त करने के बाद नोडल अधिकारी, कंप्यूटर ब्रांच इसे संबंधित पक्षकार/वक़ील को भेज देगा। अगर ज़मानत दे दी गई है तो इसकी एक कॉपी संबंधित जेल निरीक्षक को lawofficertihar@gmail.com पर भेजी जाएगी।