आईसीएमआर ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा, ऐसे लोगों की जांच के आदेश दिए गए हैं जिन्हें डॉक्टरों ने टेस्ट कराने को कहा

Update: 2020-07-23 03:45 GMT

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया है कि उसने सिर्फ़ उन्हीं लोगों की जांच करने का आदेश दिया है, जिन्हें डॉक्टरों ने जांच कराने की अनुशंसा की है।

न्यायमूर्ति नवीन चावला की एकल पीठ को परिषद ने यह बात बताई। COVID19 टेस्ट के लिए डॉक्टर की आवश्यक अनुशंसा के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी गई है।

आईसीएमआर ने 20 जुलाई को अपने एक आदेश में कहा था कि जिन लोगों में रोग़ का कोई लक्षण नहीं है उन सभी लोगों की जांच कराने से लैब पर अनावश्यक दबाव पड़ेगा और फिर इस वजह से उन लोगों की जांच नहीं हो पाएगी, जिनकी इसे सर्वाधिक ज़रूरत है।

यह याचिका उत्सव सिद्धू, रेजिनल्ड वलसलन और राकेश तालुकदार ने दायर की है और इसमें उन पेशेवरों की शिकायतों का मामला उठाया गया है जिन्हें अपने पेशे के सिलसिले में विभिन्न राज्यों में जाना होता है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि कई राज्य जैसे हिमाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश की अनुमति तभी दी जाता है जब आप उसे COVID19 नेगेटिव रिपोर्ट का प्रमाणपत्र दिखाएंगे।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 1 जुलाई को जारी आईसीएमआर की एडवाइज़री में राज्यों को सलाह दी गई थी कि डॉक्टरों की पूर्व अनुमति के बिना लैब को कोरोना की जाँच के लिए फ़्री रखा जाना है।

इसलिए याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जांच के लिए डॉक्टरों की अनुशंसा की ज़रूरत को समाप्त करने की दिशा में आईसीएमआर ने कोई काम नहीं किया।

याचिका के अनुसार,

"…कुछ राज्य अपनी सीमा में प्रवेश के लिए COVID19-नेगेटिव रिपोर्ट का प्रमाणपत्र मांगते हैं और उधर जांच के लिए किसी डॉक्टर की आवश्यक अनुशंसा की वजह से लोगों को किसी लैब में अपनी जांच कराना मुश्किल हो गया है और कोई व्यक्ति किसी राज्य में जा सकता है कि नहीं यह पूरी तरह डॉक्टरों की मर्ज़ी पर निर्भर हो गया है।"

इस मामले में याचिकाकर्ताओं की पैरवी अभिमन्यु तिवारी ने की।



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