दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को गिरफ्तार करने की कोई योजना नहीं
दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को बताया कि वह बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को इस महीने किसी भी शनिवार को दिल्ली में एजेंसी के सामने पेश होने पर गिरफ्तार नहीं करेगी।
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की पीठ के समक्ष यादव की उस याचिका के जवाब में यह दलील दी गई, जिसमें उन्होंने सीबीआई द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें नौकरी के लिए कथित भूमि घोटाला मामले में पूछताछ के लिए दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया था।
अदालत ने अपने आदेश में सीबीआई के वकील की दलील दर्ज की कि वह मार्च में 05 अप्रैल से पहले किसी भी शनिवार को पेश हो सकते हैं और "सीबीआई इस महीने में उनकी गिरफ्तारी पर विचार नहीं कर रही है।"
यादव के वकील ने कहा कि वह 25 मार्च को सुबह साढ़े दस बजे सीबीआई मुख्यालय में जांच अधिकारी के समक्ष पेश होंगे।
यादव का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर वकील ने पहले कहा था कि वह चार विभागों के साथ उपमुख्यमंत्री हैं।
उन्होंने कहा,
"वे मुझे यहां बुला रहे हैं। मैं उन्हें लिख रहा हूं कि मेरा बजट सत्र चल रहा है और आप पटना आएं या वीसी के माध्यम से मेरे साथ शामिल हों। मैं एक दिन के लिए दिल्ली आता हूं। 11 दिनों में मुझे तीन समन दिए गए हैं। मेरी पत्नी गर्भवती है। ईडी के छापे की वजह से उसकी हालत बिगड़ गई और हमें उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।"
कोर्ट को बताया गया कि बजट सत्र 05 अप्रैल तक है। यादव के वकील ने कहा कि वह वीसी के जरिए पेश होने को तैयार हैं।
सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट डीपी सिंह ने कहा कि यादव किसी भी शनिवार को सीबीआई मुख्यालय आ सकते हैं। सिंह ने यह भी कहा कि जब यादव दिल्ली में थे, तब कोई सत्र नहीं था, लेकिन फिर भी उन्होंने जांच में शामिल नहीं होने का फैसला किया।
सिंह ने कहा,
"उन्हें अपना शनिवार चुनने दें। शनिवार का कोई सत्र नहीं है। एक जांच है, जहां लोगों का सामना करना पड़ता है और दस्तावेज दिखाने होते हैं। हमारी चार्जशीट तैयार है और हमें इस महीने के समाप्त होने से पहले फाइल करनी होगी। मगर यह उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा।
यादव का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने जब कहा कि सीबीआई उन्हें गिरफ्तार करने की योजना बना रही है तो सिंह ने कहा,
"फिलहाल उन्हें गिरफ्तार करने की कोई [योजना] नहीं है। मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।"
यादव ने अपनी याचिका में कहा कि सीआरपीसी के प्रावधानों का घोर उल्लंघन करते हुए नोटिस जारी किए गए। उन्होंने कहा कि संहिता की धारा 160 के तहत नोटिस केवल उस व्यक्ति को जारी किया जा सकता है, जो पुलिस स्टेशन के स्थानीय अधिकार क्षेत्र में स्थित है या आसपास के पुलिस स्टेशन के भीतर है।
याचिका में कहा गया,
"... जबकि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता को पटना, बिहार का निवासी होने के कारण नई दिल्ली में जांच में शामिल होने की आवश्यकता है, जो न तो पटना के अधिकार क्षेत्र में है और न ही उसके आस-पास है।"
सीबीआई ने इस मामले में 10 अक्टूबर, 2022 को 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और अन्य लोग आरोपी हैं।
जांच एजेंसी का मामला है कि बिहार के विभिन्न निवासियों को 2004 से 2009 के दौरान मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में "ग्रुप-डी पदों" पर स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया।
यह आरोप लगाया गया कि इसके एवज में व्यक्तियों ने स्वयं या उनके परिवारों ने अपनी जमीन तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों और कंपनी मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर स्थानांतरित कर दी, जिसे बाद में उनके परिवार के सदस्यों ने ले लिया।
सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि जोनल रेलवे में स्थानापन्नों की नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया और उनके आवेदनों को संसाधित करने में अनुचित जल्दबाजी दिखाई गई।
एक निचली अदालत ने बुधवार को लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और उनकी बेटी को 50,000 रूपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर जमानत दे दी थी।
केस टाइटल: तेजस्वी प्रसाद यादव बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो
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