सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया की जमानत याचिका पर 14 जुलाई को सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट सोमवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत की मांग वाली याचिका पर 14 जुलाई, 2023 को सुनवाई करने पर सहमत हो गया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने सीनियर वकील डॉ. एएम सिंघवी के उल्लेख के बाद मामले को सूचीबद्ध किया।
सिसौदिया की ओर से पेश हुए डॉ. एएम सिंघवी ने सिसौदिया की पत्नी की बीमारी का हवाला देते हुए तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की।
उन्होंने कहा,
"यह जमानत का मामला है। महिला को दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। कुछ वास्तविक आपात स्थिति है।"
सिंघवी सिसौदिया की पत्नी का जिक्र कर रहे थे, जो पहले जून 2023 में बीमार पड़ गई थीं। जून में दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता को एक दिन के लिए अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति दी थी और आदेश दिया था कि वह मीडिया से बातचीत नहीं करेंगे या अपने मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करेंगे। हालांकि, हाईकोर्ट ने पत्नी की खराब स्वास्थ्य स्थिति के मद्देनजर छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत की मांग करने वाली सिसोदिया की अर्जी खारिज कर दी थी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस बात का ज़िक्र करने पर कहा,
"ठीक है, मामले को 14 तारीख को सूचीबद्ध किया जाए।"
पिछले हफ्ते, दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में पिछली आबकारी नीति के कार्यान्वयन से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले 30 मई को हाईकोर्ट ने शराब नीति के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।
आप नेता को 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। जांच एजेंसी का मामला है कि वर्ष 2021-22 के लिए उत्पाद शुल्क नीति के निर्धारण और कार्यान्वयन में अनियमितताएं थीं।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिसौदिया को इसलिए गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने गोल-मोल जवाब दिया और सबूत मिलने के बावजूद जांच में सहयोग नहीं किया।
सीबीआई की एफआईआर में कहा गया कि सिसौदिया और अन्य ने "टेंडर के बाद लाइसेंसधारी को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना" उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के संबंध में "सिफारिश करने और निर्णय लेने" में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दूसरी ओर, ईडी का आरोप है कि कुछ निजी कंपनियों को थोक कारोबार में 12 फीसदी का मुनाफा देने की साजिश के तहत उत्पाद शुल्क नीति लागू की गई। इसमें कहा गया कि मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों के मिन्ट्स ऑफ मिटिंग्स ऑफ ग्रुफ में ऐसी किसी शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।
एजेंसी ने यह भी दावा किया कि थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए विजय नायर और साउथ ग्रुप के साथ अन्य व्यक्तियों द्वारा साजिश रची गई। एजेंसी के मुताबिक, नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से कार्य कर रहे थे।