सुप्रीम कोर्ट ने क्रॉस एक्ज़ामिनेशन में सवालों पर अनावश्यक आपत्तियां उठाने वाले वकीलों की निंदा की, बार से ट्रायल कोर्ट के साथ सहयोग करने का आग्रह किया
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (14.09.2023) को महाराष्ट्र में ट्रायल कोर्ट में लंबित मुकदमों की भारी संख्या पर चिंता व्यक्त की और बार के सदस्यों से सहयोग करने का आग्रह किया। न्यायालय ने क्रॉस एक्ज़ामिनेशन के दौरान वकीलों द्वारा अनावश्यक आपत्तियां उठाने को अस्वीकार कर दिया क्योंकि इससे मुकदमे में देरी हो रही है।
शीर्ष अदालत ने कहा,
“अगर वकील क्रॉस एक्ज़ामिनेशन में पूछे गए हर सवाल पर आपत्ति जताने लगेंगे तो सुनवाई सुचारू रूप से नहीं चल सकती। मुकदमे में देरी हो जाती है।"
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि यदि बार के सदस्य मुकदमे के चरण में सहयोग नहीं करते हैं तो बड़ी संख्या में लंबित मामले अदालतों के कामकाज को प्रभावित करेंगे।
कोर्ट ने कहा,
“अगर हम नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड पर उपलब्ध आंकड़ों का अवलोकन करें तो हम पाते हैं कि महाराष्ट्र राज्य में ट्रायल कोर्ट में बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित हैं। यदि बार के सदस्य ट्रायल कोर्ट के साथ सहयोग नहीं करते हैं तो हमारी अदालतों के लिए भारी बकाया से निपटना बहुत मुश्किल हो जाएगा। जब कोई मुकदमा चलाया जा रहा हो तो बार के सदस्यों से न्यायालय के अधिकारियों के रूप में कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। उनसे उचित और निष्पक्ष तरीके से आचरण करने की अपेक्षा की जाती है। बार के सदस्यों को यह याद रखना चाहिए कि निष्पक्षता महान वकालत की पहचान है।"
मौजूदा विशिष्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉपीराइट उल्लंघन के एक मुकदमे में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए स्थगन के खिलाफ अपील पर विचार कर रहा था।
शीर्ष अदालत ने कहा,
"हम इस मामले में सुनवाई के दौरान बार के एक सदस्य के आचरण के बारे में कुछ परेशान करने वाली बातें दर्ज करने से बच नहीं सकते। वकील की लगातार आपत्तियों के कारण, अदालत को क्रॉस एक्ज़ामिनेशन का एक बड़ा हिस्सा प्रश्न और उत्तर प्रारूप में रिकॉर्ड करना पड़ा, जिसमें ट्रायल कोर्ट का काफी समय लगा।"
केस टाइटल : बृहन् करण शुगर सिंडिकेट प्राइवेट लिमिटेड बनाम यशवंतराव मोहिते कृष्णा सहकारी साखर कारखाना, सिविल अपील नंबर 2768/2023
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