सबऑर्डिनेट कोर्ट को अवमानना नोटिस जारी करने का अधिकार नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2022-01-19 09:36 GMT

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों की अवमानना ​​के लिए नोटिस जारी करने की शक्ति केवल हाईकोर्ट के पास है, जो इस पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करता है।

जस्टिस अमित बंसल ने कहा,

"सबऑर्डिनेट कोर्ट क्षेत्राधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकते। वे कारण बताओ नोटिस जारी नहीं कर सकते। अवमानना ​​​​कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जा सकती। एक सबऑर्डिनेट कोर्ट केवल अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू करने के लिए हाईकोर्ट को मामला भेज सकता है।"

हाईकोर्ट वाणिज्यिक न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें याचिकाकर्ता को अध्यक्ष के माध्यम से आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया था कि क्यों न उसके खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। न्यायालय ने प्रतिवादी को व्हाट्सएप के माध्यम से समन की तस्वीर भेजी थी।

यह माना गया कि वादी ने विधिवत प्रक्रिया शुल्क दाखिल किया और सामान्य प्रक्रिया के साथ-साथ स्पीड पोस्ट के माध्यम से प्रतिवादी को नियमित समन जारी करने के लिए कदम उठाए थे। व्हाट्सएप से समन की तस्वीर एक अतिरिक्त उपाय के रूप में भेजी गई ताकि प्रतिवादी को वाणिज्यिक न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सके। इस प्रकार, इसमें कुछ भी दुर्भावनापूर्ण नहीं कि यह नहीं कहा जा सकता कि यह न्यायिक कार्यवाही को खत्म करने का प्रयास था।

अवमानना ​​नोटिस के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने कहा,

"अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 की धारा 10 और 15 के मद्देनजर, केवल हाईकोर्ट को अपने सबऑर्डिनेट कोर्ट की अवमानना ​​के संबंध में संज्ञान लेने की शक्ति है।"

धारा 10 सबऑर्डिनेट कोर्ट की अवमानना ​​को दंडित करने के लिए हाईकोर्ट की शक्ति प्रदान करता है।

धारा 15 में प्रावधान है कि किसी सबऑर्डिनेट कोर्ट की आपराधिक अवमानना ​​के मामले में हाईकोर्ट, महाधिवक्ता द्वारा या किसी संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में सबऑर्डिनेट कोर्ट के भेजे गए संदर्भ पर कार्रवाई कर सकता है। ऐसे विधि अधिकारी द्वारा, जैसा कि केंद्र सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, इस संबंध में विनिर्दिष्ट करे।

खंडपीठ ने आगे दोहराया कि अदालत की अवमानना ​​एक विशेष अधिकार क्षेत्र है जिसे संयम से और बहुत सावधानी के साथ प्रयोग किया जाना चाहिए। अवमानना ​​​​कार्यवाही को हल्के में शुरू नहीं किया जाना चाहिए।

केस शीर्षक: आईसीआईसीआई बैंक बनाम रश्मि शर्मा, सीएम (एम) 36/2022

प्रशस्ति पत्र: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 25

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