तमिलानाडु सरकार ने युवा वकीलों के लिए लॉन्च की स्टाइपेंड स्कीम, दो वर्षों तक प्रतिमाह 3,000 रुपए की मदद मिलेगी
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी ने बुधवार (28 अक्टूबर) को युवा वकीलों की सहायता के लिए लायर्स स्टाइपेंड स्कीम लॉन्च की। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने नौ युवा वकीलों को दो साल के लिए 3,000 प्रति माह दर स्टाइपेंड प्रदान किया।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम, कानून मंत्री सीवी शनमुगम, मुख्य सचिव के शनमुगम और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
योजना का उद्देश्य युवा कानून स्नातकों को प्रति माह रु 3,000 रुपए सहयता के रूप में प्रदान करना है। योजना का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर युवा वकीलों को दिया जाएगा।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु सरकार की नई योजना से ग्रामीण इलाकों में आर्थिक रूप से कमजोर वकीलों को फायदा होगा, जहां पूर्ण रूप से अधिवक्ता बनने में कम से कम तीन या चार साल का समय लगता है।
योजना के सबंध में जारी विज्ञप्ति के अनुसार, "मौजूदा दौर में, कई वकीली गरीबी में हैं और वकालत के पेशे में स्थिर न हो पाने के कारण अन्य व्यवसायों की ओर कदम बढ़ा लिया है। इस विशेष योजना से उन वकीलों को मदद मिलेगी।"
राज्य सरकार की आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य उन युवा वकीलों की मदद करना है, जिन्होंने हाल ही में पढ़ाई पूरी की हैं। योजनका का लाभ लेने के लिए बार काउंसिल में स्थायी पंजीकरण आवश्यक है, जिसके लिए अखिल भारतीय बार परीक्षा उत्तीर्ण करना होगा।
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2020 में, बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु एंड पुदुचेरी ने बताया था कि मुख्यमंत्री ने युवा वकीलों को दो साल की अवधि के लिए 3,000 रुपए मासिक स्टाइपेंड मंजूर किया है।
बार काउंसिल के चेयरमैन पीएस अमलराज ने कहा, "युवा वकीलों को समय पर मदद से काफी हद तक यह सुनिश्चित हो पाएगा कि अधिवक्ताओं का मानदंड ऊंचा रहे और निर्देशात्मक परिणाम के रूप में, तमिलनाडु भविष्य में महान अधिवक्ताओं और प्रख्यात न्यायविदों को पैदा करने में सक्षम होगा।"
इसने पहले मुख्यमंत्री पलानीस्वामी को एक ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें नामांकित हुए नए जूनियर वकीलों को प्रति माह 5,000 रुपए का स्टाइपेंड देने का आग्रह किया गया था।
उल्लेखनीय है कि 2018 में, केरल सरकार ने जूनियर वकीलों के लिए स्टाइपेंड मंजूर किया था। उक्त योजना के तहत 30 वर्ष से कम उम्र के ऐसे वकील, जिनकी प्रैक्टिस तीन वर्ष से कम है और जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपए से कम है, स्टाइपेंड के हकदार हैं। स्टाइपेंड के रूप में उन्हें 5,000 रुपए प्रति माह दिया जाता है। हाल ही में, केरल हाईकोर्ट ने 2018 के सरकारी आदेश के कार्यान्वयन में "गंभीर विलंब" के लिए स्टेट बार काउंसिल की खिंचाई भी की थी।
इस वर्ष की शुरुआत में, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर युवा वकीलों को प्रति माह 20,000 रुपए निर्वाह भत्ते के रूप में प्रदान करने का अनुरोध किया था।
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