छात्रों की पीठ के पीछे परीक्षा पर रोक लगाना, उनके हितों के लिए हान‌िकारकः बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2020-08-15 10:53 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस, नासिक (MUHS) द्वारा आयोजित बैचलर इन डेंटल सर्जरी और मास्टर्स इन डेंटल सर्जरी की परीक्षाओं पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। दोनों परीक्षाएं क्रमशः 17 अगस्त और 25 अगस्त को आयोजित होनी हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि उन परीक्षार्थियों की पीठ के पीछे ऐसी परीक्षाओं को रद्द करना जो शारीरिक रूप से परीक्षा में बैठने के लिए तैयार हैं, उनके हितों के लिए हानिकारक होगा।

चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एसपी तावड़े की डिवीजन बेंच ने आकाश उदयसिंह राजपूत और ऐसे अन्य छात्रों द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट कुलदीप निकम ने कहा कि COVID-19 के कारण फैली महामारी और महाराष्ट्र की विकट स्थिति के कारण, परीक्षार्थियों के लिए शारीरिक रूप से परीक्षा में बैठना असंभव होगा; हालांकि, यदि ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जाती है, तो सभी याचिकाकर्ता परीक्षा में भाग लेने के लिए तैयार हैं। निकम ने परीक्षाओं का रोक लगाने की प्रार्थना करना।

विश्वविद्यालय की ओर से पेश हुए अधिवक्ता आरवी गोविलकर ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुने जा रहे मामलों का उल्लेख किया, जिसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई हैं, और कहा कि परीक्षाओं के संचालन के संबंध में क्षेत्र में कोई रोक नहीं है।

उन्होंने कहा कि महामारी के बावजूद, विश्वविद्यालय ने पोस्ट ग्रेजुएट और अंडर ग्रेजुएट छात्रों की सोशल ड‌िस्टेंसिंग के साथ परीक्षा कराने के लिए पर्याप्त व्यवस्‍था की है।

उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षाओं पर पूर्णतया रोक लगाना विश्वविद्यालय के प्रति पूर्वाग्रह का काम करेगा, जिसने परीक्षाओं के सुचारू संचालन के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं। साथ ही अन्य छात्रों के प्र‌ति भी आग्रहपूर्ण होगा, जो शारीरिक रूप से परीक्षा में बैठने के इच्छुक हैं।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठ ने कहा-

"दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुनकर, हम 17 और 25 अगस्त, 2020 को होने वाली परीक्षाओं को रोककर इस स्तर पर अंतरिम राहत देना उचित नहीं समझते। याचिकाकर्ताओं के अलावा और भी परीक्षार्थी हो सकते हैं, जो शारीरिक रूप से परीक्षाओं में बैठने के इच्छुक हों और तैयार रहें। ऐसे परीक्षार्थियों की पीठ पीछे परीक्षाओं पर रोक लगाना उनके हितों के लिए हानिकारक होंगी।"

अदालत ने परीक्षाओं पर रोक लगाने की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया और कहा कि विश्वविद्यालय सोशल डिस्टेंसिंग और अन्‍य प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हुए, 17 और 25 अगस्त, 2020 को निर्धारित परीक्षाओं का आयोजन कराने के लिए स्वतंत्र है।

अदालत ने कहा कि शारीरिक रूप से परीक्षा में बैठने के इच्छुक किसी भी परीक्षार्थी को परीक्षा में बैठने की स्वतंत्रता होगी। इसमें याचिकाकर्ता भी शामिल होंगे।

हालांकि, अगर कोई भी याचिकाकर्ता शारीरिक रूप से परीक्षा बैठने से मना करता है और याचिका की अंतिम सुनवाई में अपने लिए अलग परीक्षा आयोजित कराने के लिए विश्वविद्यालय को निर्देश देने के पक्ष में मजबूती से अपना मामला रखता है तो न्यायालय जैसा आवश्‍यक होगा, उसके मुताबिक, नए सिरे से निर्देश जारी करने के लिए स्वतंत्र होगा।

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