एनडीपीएस अधिनियम की धारा 67 के तहत बयान को इकबालिया बयान के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने दोहराया
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने माना है कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 की धारा 67 के तहत एक बयान को इस अधिनियम के तहत किसी अपराध के मुकदमे में इकबालिया बयान के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
हालांकि, न्यायमूर्ति राज मोहन सिंह की पीठ ने 'तूफान सिंह बनाम तमिलनाडु सरकार (2013)' के मामले पर भरोसा जताया, जिसमें यह माना गया था कि जिन अधिकारियों को एनडीपीएस अधिनियम की धारा 53 के तहत शक्तियां प्रदान की गयी हैं, वे साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के दायरे में पुलिस अधिकारी हैं।
इस प्रकार, साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 के तहत, पुलिस अधिकारी के समक्ष दिया गया कोई भी इकबालिया बयान उक्त प्रावधान से प्रभावित होगा।
याचिकाकर्ता का मामला यह है कि उसे सह-आरोपी के खुलासे के आधार पर फंसाया गया है, जिनसे 248 किलोग्राम पोस्त की भूसी, 1 किलोग्राम 500 ग्राम अफीम और 199 किलोग्राम खस बरामद किया गया था। उसके बाद गुप्त सूचना के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई, लेकिन फिर भी पुलिस के 'रुका' (ruqa) में याचिकाकर्ता का नाम नहीं आया।
याचिकाकर्ता को जांच में शामिल होने के लिए नोटिस और अंतरिम निर्देश जारी किया गया था। उक्त आदेश में उल्लेख किया गया है,
"उसकी पेशी पर, उसे गिरफ्तारी/जांच अधिकारी की संतुष्टि के आधार पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा। याचिकाकर्ता को जब भी बुलाया जाएगा, वह जांच में शामिल होगा और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीससी) की धारा 438 (2) के तहत निर्दिष्ट शर्तों का पालन करेगा।"
उसके बाद राज्य की ओर से विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए मामले को स्थगित कर दिया गया।
राज्य सरकार की ओर से पेश उप महाधिवक्ता अनंत कटरिया ने दलील दी कि याचिकाकर्ता कैंटर को एस्कॉर्ट कर रहा था जिसमें प्रतिबंधित पदार्थ मौजूद था। उसे रास्ते में पुलिस के आने पर आगाह करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। राज्य के वकील ने कॉल विवरण, याचिकाकर्ता और सह-अभियुक्त के टॉवर लोकेशन पर भरोसा किया। इसने सह-अभियुक्त के खाते में जमा राशि से संबंधित बैंक स्टेटमेंट पर भी भरोसा किया था।
कोर्ट ने कहा कि विश्वसनीय सामग्री प्रासंगिक स्तर पर उस संदर्भ में पेश किए जाने वाले साक्ष्य पर निर्भर करती है।
यद्यपि याचिकाकर्ता जांच में शामिल हुआ है, लेकिन यह भी देखा गया कि सरकार ऊपर वर्णित आधार पर याचिकाकर्ता की हिरासत की मांग कर रहा है।
याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देते हुए, अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता सह-आरोपी बलबीर और राजिंदर के खुलासे पर आधारित बयान पर मामले में शामिल है। हालांकि, इस तरह का बयान 'तूफान सिंह' के मामले में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत से प्रभावित है और इस तरह इसे अस्वीकार्य माना जाएगा।
शीर्षक: दलजीत सिंह बनाम हरियाणा सरकार
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