आवारा पशुओं के कारण होने वाली हर दुर्घटना के लिए राज्य जिम्मेदार नहीं, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने मुआवजा देने से किया इंकार

Update: 2020-01-08 03:45 GMT

यह स्पष्ट करते हुए कि आवारा पशुओं के कारण होने वाली हर दुर्घटना के लिए राज्य को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने ऐसे एक मामले में मुआवजा देने के लिए राज्य को निर्देश देने से इनकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति राजीव नारायण रैना की एकल पीठ ने कहा,

''यदि आवारा सांड गांव में घूमते हैं तो ग्रामीणों का कर्तव्य बनता है कि वे किसी भी तरह की चोट लगने से खुद को सुरक्षित रखें, जो लोगों के आने-जाने वाले रास्ते में अचानक और विशेष रूप से अंधेरे के समय आवारा जानवरों के आने के कारण लग सकती है।

इस देखभाल और सावधानी के लिए राज्य का कोई कर्तव्य नहीं है। राज्य एक आवारा जानवर की वजह से हुई हर घातक दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं है ...''

याचिकाकर्ता कृष्णा देवी, मृतक की पत्नी थी, जो एक बैल की चपेट में आने के बाद मौत के मुंह में चला गया था। यह बैल अचानक गांव की सड़क के किनारे स्थित खेतों से बाहर आ गया था। मृतक के परिवार ने नगर निगम, फतेहाबाद और हरियाणा राज्य से मुआवजा मांगा था।

अदालत ने कहा कि मृतक के परिवार को पहले ही एक बैल की चोट के कारण मौत होने के मामले में मुआवजे के रूप में 1 लाख रुपये की पेशकश की गई थी। यह पेशकश राज्य सरकार ने अपनी एक नीति के तहत की थी। इसके अलावा, घटना जिस जगह हुई थी वो नगर निगम, फतेहाबाद की सीमा के भीतर नहीं आती थी।

अदालत ने कहा कि राज्य किसी क्षेत्र की सड़कों या खेतों को बनाए रखने के लिए बाध्य नहीं है जो उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं। यह मामला सुषमा रानी बनाम पंजाब राज्य और अन्य, 2016 (2) आरसीआर (सिविल) 289 में दिए फैसले से अलग मामला है।

उस मामले में एक सड़क पर आवारा सांड से टकराने के कारण हुई दुर्घटना में मुआवजा प्रदान किया गया था। अदालत ने कहा,चूंकि उस मामले में दुर्घटना शहरी क्षेत्र के भीतर और संबंधित नगर पालिका के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में पड़ने वाली जगह पर हुई थी।

अदालत ने मृतक की अंशदायी लापरवाही को भी निर्धारित किया, जिसने दुर्घटना के समय हेलमेट नहीं पहना था, और इस वजह से उसके सिर में ज्यादा चोट आई।

कोर्ट ने इस मामले में दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि

''यह सुरक्षित रूप से अनुमान लगाया जा सकता है कि मृतक ने खुद की रक्षा के लिए उचित ध्यान नहीं दिया, जबकि खुद कानून यह कहता है कि मोटर साइकिल चालकों को उस समय सुरक्षा गियर पहनना चाहिए जब कोई वाहन गति में होता है। यह एक योगदान कारक है जिस पर न्यायालय ने 'बात अपने लिए बोलती है या खुद लापरवाही से काम किया के सिद्धांतों ( principles of res ispa loquitur)' के आधार पर विचार किया है या ध्यान दिया है। डीडीआर या रिट याचिका में इसके विपरीत कोई कोई संकेत नहीं है।''

मामले का विवरण-

केस का शीर्षक- कृष्णा देवी व अन्य बनाम हरियाणा राज्य व अन्य।

केस नंबर-सीडब्ल्यूपी नंबर 14829/2017

कोरम- न्यायमूर्ति राजीव नारायण रैना

प्रतिनिधित्व- एडवोकेट आर.के सैनी (याचिकाकर्ताओं के लिए), डीएजी हरियाणा सौरभ मोहंता और एडवोकेट विशाल गर्ग (प्रतिवादियों के लिए) 


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