राज्य केवल इसलिए पशु डॉक्टरों को मेडिकल डॉक्टरों की बराबरी में रखने से इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि वे पशुओं की देखभाल करते हैंः हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

Update: 2023-03-03 12:38 GMT

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि पशु चिकित्सा डॉक्टर मेडिकल डॉक्टरों के बराबर हैं, गुरुवार को फैसला सुनाया कि राज्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को 4-स्तरीय वेतनमान देने से इसलिए इनकार नहीं कर सकता है कि वे जानवरों की देखभाल कर रहे हैं, और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के साथ काम कर रहे डॉक्टर इंसानों का इलाज कर रहे हैं।

पशु चिकित्सा अधिकारियों को 4 स्तरीय वेतनमान नहीं देने के कैबिनेट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की पीठ ने यह टिप्पणी की।

पशु चिकित्सा विज्ञान और पशुपालन (बीवीएससी और एएच) में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद याचिकाकर्ताओं को अनुबंध पर पशु चिकित्सा अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया गया था, बाद उन्हें नियमित कर दिया गया।

वित्त विभाग की ओर से तैयार 4 स्तरीय वेतनमान दिशानिर्देशों के अनुरूप प्रत्येक अधिकारी की सेवा अवधि सेवा में 4, 9 और 14 वर्ष पूरा करने के बाद निर्धारित की जानी थी, जिसे नियमितीकरण की प्रारंभिक तिथि से गिना जाना था।

हालांकि, प्रतिवादी-राज्य ने सेवा की गणना करते समय याचिकाकर्ताओं की नियमितीकरण से पहले, अनुबंध के आधार पर प्रदान की गई सेवाओं नजरअंदाज कर दिया, जबकि उनके समकक्षों के सा‌‌थ ऐसा नहीं किया गया, जो एचपी स्वास्थ्य सेवा वर्ग- I (सामान्य सूची) और एचपी स्वास्थ्य सेवा वर्ग- I (दंत) की श्रेणियों के अंतर्गत आते हैं, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं इन रिट याचिकाओं को दायर करने के लिए विवश हो गए।

याचिका में याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादियों को य‌ह निर्देश देने की मांग की कि उनके नियमितीकरण से पहले अनुबंध के आधार पर की गई सेवा को 4,9,14 वर्षों के तहत वेतनमान प्रदान करने के लिए गिना जाए।

प्रतिवादियों की ओर से प्रस्तुत किया गया कि कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में चिकित्सा अधिकारियों (अनुबंध के आधार पर नियुक्त) की तर्ज पर याचिकाकर्ताओं (अनुबंध के आधार पर नियुक्त पशु चिकित्सा अधिकारी) की संविदात्मक सेवाओं को 4-स्तरीय वेतनमान देने के उद्देश्य से नहीं गिना जा सकता है। याचिकाकर्ता जानवरों की देखभाल कर रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर मनुष्यों की देखभाल कर रहे हैं, जहां दांव पर बहुत अधिक हैं और कर्तव्य और जिम्मेदारियां चौबीसों घंटे हैं और इस प्रकार समान नहीं हैं।

दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद पीठ ने डॉ. अरुण सिरकेक और अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य, 2009 का उल्लेख किया, जब न्यायालय ने देखा था कि अनुबंध के आधार पर नियुक्त पशु चिकित्सा अधिकारियों के सा‌थ उनकी तदर्थ सेवाओं की गिनती न करके भेदभाव नहीं किया जा सकता है और उसी के मुताबिक, राज्य को सभी उद्देश्यों के लिए पशु चिकित्सा अधिकारियों की तदर्थ सेवाओं की गणना करने के लिए निर्देशित किया गया था।

यह देखते हुए कि चूंकि इस अदालत ने पहले से ही एमबीबीएस डॉक्टरों और पशु चिकित्सा अधिकारियों के बीच तदर्थ सेवा की गिनती के मामलों में समानता को मान्यता दे दी है और एमबीबीएस डॉक्टरों के बराबर पशु चिकित्सा अधिकारियों को एनपीए की मंजूरी भी दे दी है, पीठ ने पशु चिकित्सा अधिकारियों को 4-स्तरीय वेतनमान देने से इनकार करने के फैसले को रद्द कर दिया।

इस प्रकार याचिकाकर्ताओं के दावे को खारिज करने के कैबिनेट के आक्षेपित निर्णय को रद्द कर दिया गया।

प्रतिवादी-राज्य को निर्देशित किया गया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा अनुबंध के आधार पर प्रदान की गई सेवाओं को उनके संबंधित नियमितीकरण से पहले 4-टियर वेतनमान के तहत लाभ के उद्देश्य से उसी पैटर्न पर गिना जाए जैसा कि चिकित्सा अधिकारियों (जनरलिस्ट), (दंत चिकित्सा) और पशु चिकित्सा अधिकारी (नियमित) के लिए किया जाता है।

केस टाइटल: पंकज कुमार लखनपाल व अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश व अन्य।

साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एचपी) 10


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