सावरकर मानहानि मुकदमे में देरी के लिए राहुल गांधी के खिलाफ नहीं होगी 'सख्त कार्रवाई'
स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट ने हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 'सख्त कार्रवाई' और उनकी जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज की। यह याचिका दक्षिणपंथी नेता विनायक सावरकर के बारे में उनके अपमानजनक बयानों के लिए उनके खिलाफ चल रहे मानहानि मुकदमे में जानबूझकर देरी करने के लिए दायर की गई थी।
गौरतलब है कि गांधी को इस साल 10 जनवरी को स्पेशल कोर्ट से जमानत मिली थी।
स्पेशल कोर्ट ने उन्हें स्पेशल जज अमोल शिंदे के समक्ष वर्चुअली पेश होने के बाद न्यायालय में पेश होने से स्थायी छूट भी दी थी।
हालांकि, पिछले महीने सावरकर के पोते और वर्तमान कार्यवाही में शिकायतकर्ता - सत्यकी सावरकर ने अपने वकील संग्राम कोल्हटकर के माध्यम से आवेदन दायर किया, जिसमें गांधी को दी गई जमानत रद्द करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई।
अपने 28 मई के आदेश में स्पेशल जज ने उल्लेख किया कि गांधी को जमानत पर रिहा कर दिया गया और उन्हें न्यायालय में पेश होने से स्थायी छूट दी गई।
जज ने उक्त आवेदन खारिज करते हुए कहा,
"आरोपी के जमानत बांड जब्त करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं हैं। ऐसा नहीं पाया गया कि आरोपी मामले को लंबा खींच रहा है। आवेदन में उल्लिखित आधार आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए उचित नहीं हैं।"
मामले की पृष्ठभूमि
मानहानि की शिकायत में दावा किया गया कि गांधी ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न अवसरों पर सावरकर को बार-बार बदनाम किया। एक विशेष घटना 5 मार्च, 2023 को उजागर हुई, जब गांधी ने यूनाइटेड किंगडम में ओवरसीज कांग्रेस को संबोधित किया था।
शिकायतकर्ता - सत्यकी सावरकर (वीडी सावरकर के पोते) ने दावा किया कि गांधी ने सावरकर के खिलाफ जानबूझकर बेबुनियाद आरोप लगाए, उन्हें झूठा जानते हुए सावरकर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और शिकायतकर्ता और उनके परिवार को मानसिक पीड़ा पहुंचाने के इरादे से। शिकायत में कहा गया कि अपमानजनक भाषण इंग्लैंड में दिया गया, लेकिन इसका असर पुणे में महसूस किया गया, क्योंकि इसे पूरे भारत में प्रकाशित और प्रसारित किया गया।
सत्यकी ने अपनी शिकायत में कई मीडिया रिपोर्ट और लंदन में गांधी के भाषण के वीडियो का यूट्यूब लिंक सबूत के तौर पर पेश किया। उन्होंने दावा किया कि गांधी ने सावरकर पर एक किताब लिखने का झूठा आरोप लगाया, जिसमें उन्होंने एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई का वर्णन किया, जिसे सावरकर ने कभी नहीं लिखा और ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई।
सत्यकी ने तर्क दिया कि गांधी ने सावरकर को बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से ये झूठे, दुर्भावनापूर्ण और बेबुनियाद आरोप लगाए। सत्यकी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि आवेदन में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत गांधी के लिए अधिकतम सजा और CrPC की धारा 357 (मुआवजा देने का आदेश) के अनुसार अधिकतम मुआवजा लगाने की मांग की गई।
इससे पहले, अदालत ने ऐतिहासिक साक्ष्य को रिकॉर्ड पर लाने के लिए मामले को सारांश परीक्षण से समन ट्रायल में बदलने का गांधी का आवेदन स्वीकार कर लिया था।