गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन ने अरविंद दातार को ED समन की निंदा की, वकीलों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए CJI से हस्तक्षेप की मांग की
गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन (GHAA) ने 17 जून को बार रूम में आयोजित अपनी विशेष सामान्य बैठक में एकमत से प्रस्ताव पारित कर सीनियर एडवोकेट अरविंद पी. दातार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा समन जारी किए जाने की कड़ी निंदा की।
बता दें यह समन दातार द्वारा केयर हेल्थ इंश्योरेंस को पूर्व चेयरपर्सन रश्मि सलूजा को दिए गए ESOP पर दी गई कानूनी सलाह को लेकर जारी किया गया था।
अब यह समन वापस ले लिया गया है। हालांकि, एसोसिएशन ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह की कार्रवाई वकालत पेशे की स्वतंत्रता को कमजोर करती है और वकीलों के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
GHAA ने भारत सरकार से यह भी आग्रह किया कि वह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bhartiya Sakshya Adhiniyam) 2023 (पूर्व में साक्ष्य अधिनियम, 1872) की तर्ज पर उपयुक्त नियम बनाए, जिससे वकीलों को उनके मुवक्किलों के साथ पेशेवर बातचीत (चाहे मौखिक हो या लिखित) को लेकर समन न किया जा सके।
एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) से इस मुद्दे को उठाने और वकीलों की पेशेवर स्वतंत्रता की रक्षा हेतु दिशानिर्देश तैयार करने की अपील की।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन, मद्रास बार एसोसिएशन और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार को ED द्वारा समन भेजे जाने की निंदा की थी।
पिछले सप्ताह इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि ED ने केयर हेल्थ इंश्योरेंस को रश्मि सलूजा को दिए गए ESOP पर कानूनी सलाह देने के कारण दातार को समन जारी किया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।