दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर अपने वाहनों पर फर्ज़ी 'जज' स्टिकर चिपकाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई
दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर उन व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी या विभागीय जांच की मांग की गई है जो अपने वाहनों पर 'जज' शब्द के प्रिंटआउट का फर्ज़ी तरीके से उपयोग कर रहे हैं।
अधिवक्ता संसेर पाल सिंह द्वारा दायर याचिका में तर्क दिया गया कि इस तरह के प्रिंटआउट और धोखाधड़ी से प्राप्त स्टिकर का उपयोग सुरक्षा के लिए खतरा है, क्योंकि ऐसे वाहनों को सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा तलाशी के लिए नहीं रोका जाता।
याचिका में दिल्ली जिला अदालतों के न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई, जिन्होंने 2018 के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए जज वाहन पार्किंग स्टिकर प्राप्त किया था।
याचिका में यह भी निर्देश दिए जाने की मांग की गई कि ऐसे सभी न्यायिक अधिकारी उक्त दिशानिर्देशों का पालन करते हुए जज वाहन पार्किंग स्टिकर प्राप्त करें और उनका उपयोग करें।
याचिका में कहा गया,
"याचिकाकर्ता के पास इस माननीय न्यायालय के दरवाजे खटखटाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है कि वह इस माननीय न्यायालय के अधीनस्थ दिल्ली की अदालतों के सभी न्यायिक अधिकारियों को केवल दिशानिर्देशों का पालन करके न्यायाधीश वाहन पार्किंग स्टिकर प्राप्त करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करे।"
याचिका में कहा गया कि ऐसे व्यक्तियों द्वारा जज कार पार्किंग स्टिकर प्राप्त करना और उनका उपयोग करना जो न तो जज हैं और न ही इस तरह के स्टिकर का कोई अधिकार है, एक बहुत ही गंभीर चूक है।
याचिका को अगले सप्ताह सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है।
केस शीर्षक: संसेर पाल सिंह बनाम दिल्ली हाईकोर्ट