इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड अवधि (2020-21) के दौरान भुगतान की गई स्कूल फीस की 15% राशि एडजस्ट करने/छात्रों को वापस करने का आदेश दिया

Update: 2023-01-16 14:23 GMT
Allahabad High Court

Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को निजी स्कूलों को कोविड महामारी अवधि (2020-21 सत्र) के दौरान छात्रों से वसूली गई फीस (कुल फीस का 15% भाग) को समायोजित / वापस करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की पीठ ने उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में फीस के नियमन की मांग को लेकर राज्य भर से पीड़ित अभिभावकों द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।

याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई शिकायत यह थी कि COVID-19 महामारी के दौरान कुछ सुविधाएं प्रदान नहीं की गई थीं, इसलिए वे उसके लिए भुगतान करने के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट शाश्वत आनंद और यनेंद्र पांडे ने तर्क दिया कि फीस क्विड प्रो क्वो (Quid Pro Quo) यानी 'कुछ के लिए कुछ' का मामला है और 2020-21 सत्र के दौरान, निजी स्कूलों में ऑनलाइन ट्यूशन को छोड़कर कोई भी सेवा नहीं दी गई, इसलिए, यह प्रस्तुत किया गया कि निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस के ऊपर एक रुपया भी चार्ज करना शिक्षा के मुनाफाखोरी और व्यावसायीकरण के अलावा और कुछ नहीं है।

अपने तर्क के समर्थन में वकीलों ने इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान स्टेट ऑफ राजस्थान एलएल 2021 एससी 240 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2021 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया था कि निजी स्कूल बिना कोई सेवा दिये फीस की मांग करना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यावसायीकरण के बराबर है।

इसी मामले में शीर्ष अदालत ने शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए स्कूल फीस को फिर से तय करने के लिए पार्टियों को किसी नियामक प्राधिकरण को सौंपने के बजाय, शैक्षणिक वर्ष 2020-21 के लिए एकमुश्त निर्देश जारी करके इक्विटी को संतुलित किया, जिसमें छात्रों द्वारा देय फीस शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में भुगतान की गई फीस से 15% कम होगी।

अदालत ने यह भी आदेश दिया कि यदि कोई अधिक भुगतान किया गया है तो उसे भविष्य में भुगतान किए जाने वाली फीस में एडस्ट करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए और उसमें जारी निर्देशों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने अपने आदेश में निजी स्कूल को निर्देश दिया कि यदि इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम राजस्थान स्टेट ऑफ राजस्थान एलएल 2021 एससी 240 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित फीस से अधिक फीस का भुगतान किया गया है तो अभी भी इसे भविष्य में भुगतान किए जाने वाली फीस में एडजस्ट किया जा सकता है।

जो छात्र पास आउट हो गए हैं या स्कूल छोड़ चुके हैं, उनके मामले में कोर्ट ने आदेश दिया है कि राशि की गणना कर उन छात्रों को लौटा दी जाए। कोर्ट के आदेश के मुताबिक यह कवायद दो महीने के भीतर करनी होगी।

दूसरे शब्दों में हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सभी स्कूलों को वर्ष 2020-21 के दौरान ली जाने वाली कुल फीस का 15% की गणना करनी होगी और इसे अगले शैक्षणिक सत्र में एडजस्ट करना होगा।

जहां तक ​​स्कूल छोड़ने वाले छात्रों का संबंध है, उन्हें उक्त फीस का 15% हिस्सा वापस करना होगा।

अपीयरेंस

याचिकाकर्ता के लिए : एडवोकेट यनेंद्र पांडे, वैभव पांडे, स्वप्निल कुमार, अजय कुमार सिंह और शाश्वत आनंद

उत्तरदाताओं के लिए: एडवोकेट तेज भानु पांडे (प्रतिवादियों संख्या 1, 2 और 3 के लिए), सीनियर एडवोकेट अनुराग खन्ना के साथ-साथ एडवोकेट तेजस सिंह, कार्तिकेय सरन और उज्ज्वल सत्संगी (संस्था के एडवोकेट

केस टाइटल - आदर्श भूषण बनाम यूपी राज्य [पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) नंबर - 576/2020]

केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 19

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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