सावरकर मानहानि मामला: इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य उपलब्ध न कराने पर शिकायतकर्ता के खिलाफ कोर्ट पहुंचे राहुल गांधी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दक्षिणपंथी नेता विनायक सावरकर के बारे में कथित रूप से अपमानजनक बयान देने के लिए उनके खिलाफ चल रहे मानहानि मामले में शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर के खिलाफ अदालती अवमानना की कार्यवाही की मांग करते हुए पुणे के स्पेशल MP/MLA कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
गांधी ने अपने वकील मिलिंद पवार के माध्यम से तर्क दिया कि सावरकर के पोते सत्यकी कांग्रेस सांसद के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलाने के लिए मूल सीडी और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामग्री, जिसका उन्होंने सहारा लिया, उसकी कॉपी सौंपने के अदालत के 'स्पष्ट निर्देश' का पालन करने में विफल रहे हैं।
आवेदन में लिखा,
"शिकायतकर्ता ने अदालत में एक सीडी दाखिल की। हालांकि, बचाव पक्ष को उक्त सीडी देने के बजाय शिकायतकर्ता ने 9 मई, 2025 को एक पेन ड्राइव सौंप दी, जिसे रिकॉर्ड में दर्ज कर लिया गया। यह प्रस्तुत किया गया कि उक्त पेन ड्राइव दूषित पाई गई और बचाव पक्ष के पास उपलब्ध किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पर न तो सुलभ है और न ही पढ़ने योग्य है। इससे अभियुक्त के अपने बचाव को प्रभावी ढंग से तैयार करने और संचालित करने के अधिकार पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। शिकायतकर्ता का उक्त कृत्य गैर-जिम्मेदारी और अहंकार को दर्शाता है। अत्यंत सम्मानपूर्वक यह प्रस्तुत किया जाता है कि इस पर न्यायिक संज्ञान लिया जाए।"
अपनी याचिका में गांधी ने तर्क दिया कि सत्यकी अपने व्यक्तिगत या वैचारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए झूठे आरोप लगाने, गलत हथकंडे अपनाने और न्यायिक कार्यवाही में हेराफेरी करने सहित अनुचित तरीकों का सहारा लेने को तैयार प्रतीत होते हैं।
आवेदन में कहा गया,
"इस न्यायालय के वैध निर्देशों का बार-बार पालन न करना, साथ ही दबाव की रणनीति अपनाना और न्यायिक प्रक्रिया के प्रति खुला अनादर दिखाना, कानून की प्रक्रिया का जानबूझकर दुरुपयोग करने के प्रयास को दर्शाता है। साथ ही इस न्यायालय के अधिकार के प्रति स्पष्ट अवहेलना दर्शाता है। शिकायतकर्ता लगातार न्यायालय के आदेशों का उचित सम्मान करने में विफल रहा है और कोर्ट रूम के भीतर भी मनमाने ढंग से कार्य करता रहा है। ऐसा व्यवहार शिकायतकर्ता के समग्र आचरण और विश्वसनीयता का सूचक है, जो अत्यंत सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है, गंभीर न्यायिक जाँच और विचार का पात्र है।"
गांधी के अनुसार, यह मामला "राजनीतिक प्रतिशोध और व्यवस्थित उत्पीड़न" के एक बड़े पैटर्न का हिस्सा प्रतीत होता है।
याचिका में कहा गया,
"कुछ व्यक्ति और समूह, जिनमें से कई की आपराधिक पृष्ठभूमि है, जिनके पास औपचारिक शिक्षा का अभाव है, ऐसी विचारधाराओं से जुड़े हैं, जो धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के संवैधानिक मूल्यों के मूलतः विरोधी हैं, खासकर वे जो आरएसएस और हिंदुत्व विचारधारा से जुड़े हैं। ये तत्व देश भर की विभिन्न अदालतों में झूठे और बेबुनियाद मामले दायर करके न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिसका एकमात्र उद्देश्य राहुल गांधी को निशाना बनाना है। उनका उद्देश्य न्याय प्राप्त करना नहीं, बल्कि उन्हें उनके सार्वजनिक कर्तव्यों और ज़िम्मेदारियों के निर्वहन से विचलित करना और बाधा पहुंचाना है। इस तरह की कार्रवाइयाँ कानून के शासन और न्यायिक मर्यादा की घोर अवहेलना दर्शाती हैं। और इसलिए शिकायतकर्ता इस अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहा है।"
इस आवेदन के दायर होने के साथ ही स्पेशल जज अमोल शिंदे ने सत्यकी को 13 अगस्त को अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया, जब अदालत द्वारा इस याचिका पर कोई आदेश पारित किए जाने की संभावना है।
संक्षेप में मामला
मानहानि की शिकायत में दावा किया गया कि गांधी ने वर्षों से विभिन्न अवसरों पर सावरकर की बार-बार मानहानि की है। एक विशेष घटना 5 मार्च, 2023 की है, जब गांधी ने यूनाइटेड किंगडम में ओवरसीज़ कांग्रेस को संबोधित किया था।
शिकायतकर्ता - सत्यकी सावरकर ने दावा किया है कि गांधी ने सावरकर के खिलाफ जानबूझकर बेबुनियाद आरोप लगाए, जबकि वह जानते थे कि ये आरोप झूठे हैं। उनका उद्देश्य सावरकर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाना और शिकायतकर्ता और उनके परिवार को मानसिक पीड़ा पहुंचाना था। शिकायत में कहा गया कि यह अपमानजनक भाषण इंग्लैंड में दिया गया, लेकिन इसका असर पुणे में महसूस किया गया, क्योंकि इसे पूरे भारत में प्रकाशित और प्रसारित किया गया।
सत्यकी ने अपनी शिकायत में कई मीडिया रिपोर्ट और लंदन में गांधी के भाषण के वीडियो का यूट्यूब लिंक सबूत के तौर पर पेश किया। उन्होंने दावा किया कि गांधी ने सावरकर पर किताब लिखने का झूठा आरोप लगाया, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने और उनके दोस्तों ने एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमला किया और इससे उन्हें कुछ आनंद मिला। शिकायत में कहा गया कि सावरकर ने यह तथ्य कभी किसी किताब में नहीं लिखा और ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई।
सत्यकी ने तर्क दिया कि गांधी ने सावरकर को बदनाम करने और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से ये झूठे, दुर्भावनापूर्ण और बेबुनियाद आरोप लगाए।
सत्यकी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि याचिका में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत गांधी के लिए अधिकतम सजा और CrPC की धारा 357 (मुआवजा देने का आदेश) के तहत अधिकतम मुआवजा देने की मांग की गई।