सनातन धर्म विवाद: मद्रास हाईकोर्ट में दायर याचिका में उदयनिधि स्टालिन, शेखर बाबू और ए राजा के पद पर बने रहने के अधिकार पर सवाल उठाया, कहा- इन्होंने शपथ का उल्लंघन किया

Update: 2023-10-06 14:54 GMT

मद्रास हाईकोर्ट में क्वो वारंटो की प्रकृति में तीन याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें यह दिखाने की मांग की गई है कि किस अधिकार के तहत खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन, एचआरसीडब्ल्यू मंत्री शेखर बाबू और सांसद ए राजा सनातन धर्म पर अपनी हालिया टिप्पणियों के आलोक में सार्वजनिक पद पर बने हुए हैं।

जस्टिस अनिता सुमंत ने याचिकाकर्ताओं को 11 अक्टूबर तक अपने दावों का सबूत पेश करने का निर्देश दिया है। याचिकाएं हिंदू मुन्नानी संगठन के पदाधिकारियों - टी मनोहर, किशोर कुमार और वीपी जयकुमार ने अपनी व्यक्तिगत क्षमता में दायर की हैं।

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि जिन मंत्रियों/सांसदों ने पक्षपात के बिना और व्यक्तिगत पसंद-नापसंद से दूर नागरिकों के कल्याण के लिए काम करने की शपथ ली है, उन्होंने सनातन धर्म उन्मूलन के लिए बैठक में भाग लेकर अपनी शपथ और संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ काम किया है।

याचिका में आगे कहा गया है कि मंत्रियों/सांसदों ने संविधान के अनुच्छेद 51-ए (सी) (ई) के तहत उल्लिखित मौलिक कर्तव्यों के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है, जो प्रत्येक व्यक्ति पर भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने, और सभी लोगों के बीच सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना का कर्तव्य डालता है।

यह प्रस्तुत किया गया है कि जब कर्तव्य प्रत्येक नागरिक पर अनिवार्य होते हैं, तो मंत्री पद पर बैठे व्यक्ति की जिम्मेदारी अधिक होती है और वह संविधान से कहीं अधिक बंधा होता है।

याचिका में आगे कहा गया है कि सनातन धर्म, जो कि बुनियादी हिंदू धार्मिक विचार हैं, के खिलाफ बोलकर उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म का पालन करने वाले हिंदुओं के प्रति अपनी नफरत व्यक्त की है और ऐसा व्यक्ति जो खुलेआम यह घोषणा करता है कि समाज से एक आस्था को मिटाना है, वह एक शक्तिशाली और जिम्मेदार पद पर नहीं रह सकता।

यह भी कहा गया है कि उदयनिधि ने हाल ही में खुले तौर पर घोषणा की थी कि वह और उनकी पत्नी ईसाई हैं। इस प्रकार, यह प्रस्तुत किया गया कि एक ईसाई होने और एक अलग धर्म से संबंधित होने के नाते, उदयनिधि का दूसरे धर्म के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का उपयोग करना धारा 153 (ए), 505 (ii) और 295 (ए) के तहत एक अपराध है।

उदयनिधि स्टालिन की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पी विल्सन ने हालांकि दलील दी कि याचिकाकर्ताओं ने अपने दावों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया है। इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 11 अक्टूबर तक अपने सबूत जमा करने को कहा।

केस टाइटल: किशोर कुमार बनाम पीके शेखर बाबू और अन्य

केस नंबर: WP 29203/2023 

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