केंद्र सरकार ने मोबाइल में 'संचार साथी ऐप' इंस्टॉल करने का निर्देश वापस लिया
भारत सरकार ने देश में बनने वाले या इंपोर्ट होने वाले सभी मोबाइल फोन में संचार साथी साइबर सुरक्षा एप्लिकेशन को पहले से इंस्टॉल करने का अपना निर्देश वापस ले लिया है। यह फैसला मूल फैसले के एक दिन बाद आया है जिससे बड़े पैमाने पर चिंताएं और आलोचना हुई थी।
ऐप को पहले से इंस्टॉल करने का निर्देश टेलीकम्युनिकेशंस (टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी) रूल्स, 2024 के नियम 8(4) का इस्तेमाल करते हुए जारी किया गया। बुधवार को PIB द्वारा जारी प्रेस रिलीज़ में सरकार ने कहा कि उसने ऐप की बढ़ती स्वीकार्यता के कारण पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य नहीं करने का फैसला किया।
सरकार के अनुसार, 'संचार साथी ऐप' को एक नागरिक-केंद्रित साइबर सुरक्षा टूल के रूप में बनाया गया था, जिसका मकसद यूज़र्स को ऑनलाइन धोखाधड़ी और अन्य गलत गतिविधियों से बचाना था। इसने ज़ोर दिया कि ऐप सुरक्षित है, इसमें यूज़र्स की सुरक्षा के अलावा कोई और फंक्शन नहीं है और इसे यूज़र्स कभी भी हटा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस पहल का मकसद नागरिकों को साइबर धोखाधड़ी और बुरे लोगों की रियल टाइम में रिपोर्ट करने में सक्षम बनाकर जन भागीदारी को बढ़ावा देना था।
इस ऐप को पहले ही लोगों ने काफी अपनाया। सरकार ने बताया कि अब तक 1.4 करोड़ यूज़र्स ने संचार साथी डाउनलोड किया, जो हर दिन मिलकर लगभग 2,000 धोखाधड़ी की घटनाओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं। हाल के दिनों में इसके इस्तेमाल में तेज़ी आई है। अकेले पिछले 24 घंटों में छह लाख नए रजिस्ट्रेशन दर्ज किए गए हैं जो रोज़ाना इस्तेमाल में दस गुना बढ़ोतरी है।
केंद्र ने कहा कि यह तेज़ बढ़ोतरी साइबर खतरों से बचाने में इस टूल पर नागरिकों के बढ़ते भरोसे और इसकी उपयोगिता को दिखाती है।
सरकार ने अपनी PIB रिलीज़ में कहा,
"संचार साथी की बढ़ती स्वीकार्यता को देखते हुए सरकार ने मोबाइल बनाने वालों के लिए पहले से इंस्टॉल करना अनिवार्य नहीं करने का फैसला किया है।"
यह ऐप देश भर के सभी यूज़र्स के लिए डाउनलोड के लिए उपलब्ध रहेगा।