RTI आवेदकों के व्यक्तिगत विवरण देने के खिलाफ साकेत गोखले की याचिका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को जांच का निर्देश दिया, 25 हजार का भुगतान करने को कहा
सूचना और प्रसारण मंत्रालय के खिलाफ साकेत गोखले की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंत्रालय पर 25,000 रूपये का जुर्माना लगाया। मंत्रालय पर यह जुर्माना "भारत की लक्ष्मी" अभियान के खिलाफ आरटीआई दायर करने के बाद मंत्रालय की वेबसाइट पर गोखले के व्यक्तिगत विवरण प्रदर्शित करने के लिए लगाया गया है।
न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने याचिका के कागजात को सचिव, सूचना और प्रसारण मंत्रालय को देेने और 3 महीने के भीतर मामले के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
1. सचिव, मंत्रालय सूचना और प्रसारण मंत्रालयआवेदकों के व्यक्तिगत विवरणों का खुलासा करने के इस मुद्दे की जांच की जाए। जांच 3 महीने के भीतर पूरी हो जानी चाहिए, जिसमें याचिकाकर्ता को इस अदालत में फिर से संपर्क करने की स्वतंत्रता है।
2. याचिकाकर्ता को मुकदमेबाजी की लागत के लिए 25,000 का भुगतान करने के लिए कहा।
3. याचिकाकर्ता को नुकसान का दावा करने के लिए दीवानी अदालत जाने की स्वतंत्रता दी।
भारत के संघ के लिए उपस्थित वकील ने तब अदालत को सूचित किया कि मामले में अनुशासनात्मक जांच शुरू की जा चुकी है, जिसके जवाब में न्यायालय ने कहा कि यदि कोई जांच नहीं की जाती है, तो गोखले फिर से अदालत में जाने के लिए स्वतंत्रता होंगे।
गोखले के अनुसार, उन्होंने 27 अक्टूबर, 2019 को भारत सरकार के युवा और खेल मामलों के मंत्रालय में सूचना के अधिकार के लिए आवेदन किया था, जिसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय को हस्तांतरित कर दिया गया था। इसके बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने उनके निजी संपर्क विवरण और आरटीआई आवेदन को मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया।
मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रदर्शित उनके टेलीफोन और पते के विवरण के बाद Google जैसे सर्च इंजन पर भी उनकी निजता का उल्लंघन करते हुए विवरण उपलब्ध थे।
इसके बाद, गोखले ने राम जन्मभूमि के उद्घाटन समारोह पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पत्र याचिका दायर की थी। इस समारोह में लगभग 200 लोगों के शामिल होने की उम्मीद थी। कोर्ट द्वारा याचिका को जनहित याचिका में तब्दील करने और इसे खारिज करने के बाद गोखले ने कहा कि उन्हें फोन पर कई धमकी भरे कॉल आए।
अपनी याचिका में गोखले ने मंत्रालय से 'मानसिक आघात, पीड़ा, जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरे' के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था।
इससे पहले मंत्रालय ने अदालत के निर्देश पर एक हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया था कि अपनी वेबसाइट पर गोखले के विवरण को अपलोड करने में मंत्रालय की ओर से 'कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था।'