'कैदियों के जीवन और स्वास्थ्य की रक्षा करें' : उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने राज्य की जेलों में भीड़ को कम करने का आदेश जारी करने की इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपील की
उत्तर प्रदेश बार काउंसिल ने COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण मच रही तबाही का जिक्र करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के नवनियुक्त कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश संजय यादव को एक पत्र लिखा है और विचाराधीन कैदियों / दोषियों को अंतरिम जमानत / पैरोल पर रिहा किये जाने की मांग की है।
बार काउंसिल के अध्यक्ष आर के अग्रवाल ने लिखा है, "प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तमाम खबरें आ रही हैं, जिसमें बताया गया है कि उत्तर प्रदेश की जेलों में अत्यधिक भीड़ भाड़ के कारण पिछले दो सप्ताह के दौरान कोरोना संक्रमण के मामले दोगुने हुए हैं। जेलों में अत्यधिक भीड़ भाड़ के कारण सामाजिक दूरी के नियमों का पालन न होने की वजह से बड़ी संख्या में कैदी COVID-19 पॉजिटिव पाये गये हैं।"
उन्होंने जोर दिया है कि जेलों में भीड़ कम करने और वायरस के संक्रमण से बचाव का एक मात्र उपाय यह है कि कैदियों की संख्या कम की जाये, ताकि सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया जा सके।
अग्रवाल ने कहा, "कोरोना महामारी की इस प्रकार की अभूतपूर्व परिस्थितियों में विचाराधीन कैदियों / दोषियों को अंतरिम जमानत / पैरोल पर रिहा करना समय की मांग है। यह जमानत के वैधानिक अधिकारों के कारण उत्पन्न कानूनी विवेचना के आधार पर नहीं, बल्कि कैदियों के जीवन एवं स्वास्थ्य की रक्षा के मानवाधिकारों पर आधारित हो।"
अग्रवाल ने पिछले वर्ष उच्च अधिकार प्राप्त समिति के फैसलों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट से अपील की है कि वह उत्तर प्रदेश की जेलों की खतरनाक स्थिति का संज्ञान ले एवं चुनींदा विचाराधीन कैदियों / दोषी व्यक्तियों को रिहा करने का उचित आदेश जारी करे।
इन कैदियों में वैसे विचाराधीन कैदी या अधिकतम सात साल या उससे कम की सजा वाले दोषी व्यक्ति शामिल हों और इन्हें जुर्माना के साथ या जुर्माना के बगैर अंतरिम जमानत / पैरोल पर रिहा किया जाये।