[आरटीआई एक्ट] पीआईओ की दूसरी अपील सुनवाई योग्य, भले ही उसने धारा 19(1) के तहत पहली अपील दायर ना की हो: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने कर्नाटक राज्य सूचना आयुक्त के एक आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें उन्होंने जन सूचना अधिकारी की ओर से दायर दूसरी अपील को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि पीआईओ होने के कारण याचिकाकर्ता सूचना अधिनियम अधिकार की धारा 19(3) के तहत दूसरी अपील को कायम नहीं रख सकता।
जस्टिस केएस हेमलेखा की सिंगल जज बेंच ने आंशिक रूप से कर्नाटक लोकायुक्त से जुड़े पीआईओ द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया और आयुक्त द्वारा चार जनवरी 2018 को पारित आदेश को रद्द कर दिया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया था कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा आरटीआई अधिनियम की धारा 19 (3) के तहत दूसरी अपील सुनवाई योग्य है, भले ही आरटीआई अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत कोई पहली अपील नहीं की जाती है। श्री जीएच शरणप्पा बनाम आयुक्त और अन्य के मामले में हाईकोर्ट की समन्वय पीठ के निर्णय पर भरोसा किया गया, जिसमें कहा गया,
"जब अधिनियम के तहत पीड़ित पक्ष के पास धारा 19 की उप-धारा (1) के तहत अपील करने और उप-धारा (3) के तहत दूसरी अपील करने के लिए विशिष्ट उपाय उपलब्ध है,
तब विशिष्ट प्रावधान के मद्देनजर, आयुक्त को इस आशय का समर्थन जारी करना उचित नहीं है कि याचिकाकर्ता ने आरटीआई अधिनियम की धारा 6(1) और 19(1) के तहत उपचार को समाप्त नहीं किया है, अधिनियम के प्रावधानों को विफल किया है।”
जिसके बाद न्यायालय ने कहा, "समानता बनाए रखने के लिए, इस न्यायालय का विचार है कि रिट याचिका को इस न्यायालय की समन्वय पीठ के फैसले के फैसले डब्ल्यूपी नंबर 5474/2018 के संदर्भ में निस्तारित करने की आवश्यकता है।”
तदनुसार कोर्ट ने आरटीआई अधिनियम की धारा 19 (3) के तहत दायर अपील पर पुनर्विचार के लिए मामले को सूचना आयुक्त को वापस भेज दिया। मामले को छह महीने की अधिकतम अवधि में निस्तारित करने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल: लोक सूचना अधिकारी और राज्य सूचना आयुक्त व अन्य
केस नंबर: रिट पीटिशन नंबर 24537 ऑफ 2018
साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (कर) 115