सड़क का रखरखाव नागरिकों के मौलिक अधिकार से जुड़ा, धन की कमी का हवाला देते हुए राज्य जिम्मेदारी से बच नहीं सकता: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2022-05-31 07:37 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य के लिए सड़कों को मेंटेन करने के कर्तव्य से बचने के लिए धन की कमी वैध आधार नहीं हो सकती है, क्योंकि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है।

कार्यवाहक चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस सचिन दत्ता की खंडपीठ सड़कों के निर्माण के लिए जन कल्याण विकास समिति द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इससे पहले, हाईकोर्ट ने संगठन की एक रिट याचिका को संबंधित अधिकारियों को शिकायत के रूप में विचार करने के निर्देश के साथ निपटाया था।

याचिकाकर्ता का मामला था कि "धन की कमी" के आधार पर अधिकारियों द्वारा उसके प्रतिनिधित्व को खारिज कर दिया गया।

शुरुआत में जस्टिस सांघी ने टिप्पणी की, "यह वैध आधार नहीं हो सकता क्योंकि लोगों के मौलिक अधिकार शामिल हैं।"

प्रतिवादियों की ओर से अग्रिम नोटिस पर पेश हुए वकील ने अदालत को सूचित किया कि काम शुरू कर दिया गया ‌था, लेकिन विधायक द्वारा वित्तीय सहायता वापस लेने के कारण यह रुक गया।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, "हमारे विचार से यह सड़कों की मरम्मत न होने का कारण नहीं हो सकता क्योंकि इसमें नागरिकों के मौलिक अधिकार शामिल हैं।"

कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया और प्रतिवादियों को वित्तीय व्यवस्था करके कार्य को अंजाम देने के लिए आगे बढ़ने और 22 नवंबर तक उस संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: जन कल्याण विकास समिति बनाम जीएनसीटीडी 

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