वकील का कार में बैठकर "लापरवाही से" वर्चुअल सुनवाई में शामिल होना, अदालती कार्यवाही के अनादर जैसाः मद्रास हाईकोर्ट
यह देखते हुए कि एक वकील कार में बैठकर "लापरवाही से" वर्चुअल सुनवाई में 'शामिल हुए, मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार (03 फरवरी) ने वकील के आचरण पर नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने कहा, "वकील लापरवाही से एक कार में बैठकर याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए हैं, जो कि उच्च न्यायालय द्वारा अधिसूचित वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के मद्देनजर अस्वीकार्य है।"
जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम की खंडपीठ ने कहा कि कार के पीछे एक अन्य व्यक्ति भी बैठा हुआ था, जबकि वकील वर्चुअल हियरिंग के लिए पेश हुए थे। इस पर कोर्ट ने कहा, "कोर्ट की राय है कि मामले का प्रतिनिधित्व करने का ऐसा तरीका हाईकोर्ट वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों के अनुसार अदालती कार्यवाही का अनादर है।"
याचिकाकर्ता के वकील को 04 फरवरी 2021 को एक हलफनामा दायर करने और अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया और उसके बाद, मामले को 04 फरवरी 2021 को सुनवाई के लिए पोस्ट किया गया।
अन्य समाचार में, पीटीआई के अनुसार, दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार (04 फरवरी) को कहा कि यह "चौंकाने वाला" है कि वकील "सड़कों पर, पार्कों में बैठकर और यहां तक कि सीढ़ियों पर चढ़ते हुए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों पर बहस कर रहे हैं या भाग ले रहे हैं", जिससे अदालत के लिए कार्यवाही करना मुश्किल हो जाता है...।
नवंबर 2020 में, पीठासीन अधिकारी DRT-I अहमदाबाद, विनय गोयल ने एक वकील विशाल गोरी पर अपनी कार के अंदर बैठकर वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने के कारण दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा, ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां अधिवक्ताओं को अनुचित कपड़े में वर्चुअल सुनवाई में शामिल होते पाया गया है।
गुजरात हाईकोर्ट ने 23 सितंबर को एक आपराधिक विविध आवेदन की सुनवाई में पाया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश हुए आवेदक-अभियुक्त नंबर एक, अजीत कुभाभाई गोहिल खुलेआम थूक रहा था। आरोपी के आचरण को देखते हुए जस्टिस एएस सुफिया की खंडपीठ ने कहा था, "यह अदालत आवेदक-अभियुक्त नंबर 1 के आचरण को देखते हुए मामले को आज उठाने की इच्छुक नहीं है।"
इसके अलावा, अदालत ने आवेदक-अभियुक्त नंबर एक को सुनवाई की अगली तारीख या उससे पहले हाईकोर्ट रजिस्ट्री के समक्ष 500 रुपए का जुर्मान जम करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि जुर्मान जमा नहीं करने पर मामले को सुनवाई के लिए नहीं लिया जाएगा।
हाल ही में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी एक वकील को कार के अंदर बैठकर वीडियो कॉन्फ्रेंस से कार्यवाही में भाग लेने के चलते फटकार लागई।
चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस अशोक एस किन्गी की खंडपीठ ने कहा, "हालांकि असाधारण कारणों से, हमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई करनी पड़ती है। हम आशा करते हैं और बार के सदस्य भरोसे के साथ न्यूनतम डीकोरम का पालन करेंगे।",
जून में, सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील की माफी को स्वीकार किया था, जिसने कोर्ट की वर्चुअल कार्यवाही में टी-शर्ट पहनकर बिस्तर पर लेटे हुए कार्यवाही में हिस्सा लिया था। राजस्थान उच्च न्यायालय ने वर्चुअल सुनवाई में अनुचित कपड़े पहनकर वकील के शामिल होने के कारण जमानत याचिका को स्थगित कर दिया था।
हाल ही में, उड़ीसा उच्च न्यायालय ने वाहनों, बगीचों और भोजन करते वर्चुअल सुनवाई में शामिल करने पर वकीलों की निंदा की थी। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के खिलाफ स्वतः संज्ञान अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी। वकीन ने उस दिन की वर्चुअल अदालत की सुनवाई के स्क्रीनशॉट लिंक्डइन पर शेयर किया था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि आभासी अदालती कार्यवाही का स्क्रीनशॉट लेना वास्तविक कार्यवाही की तस्वीर खींचने जैसा है। हालांकि, बाद में वकील को चेतावनी देकर अवमानना कार्यवाही को खत्म कर दिया गया था।