सीआरपीसी की धारा 102 के अंतर्गत अपराध दर्ज करना गैर कानूनी, यह प्रावधान पुलिस को जब्ती का अधिकार देने के लिए है: केरल हाईकोर्ट
केरल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक 21 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि सीआरपीसी की धारा 102 के तहत कोई अपराध नहीं है और इस प्रावधान के तहत याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध दर्ज करना अवैध है।
याचिकाकर्ता अखिल सी के वकील चेरियन मैथ्यू पुथिकोटे ने प्रस्तुत किया कि उनके खिलाफ नीलांबुर पुलिस स्टेशन में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 102 के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाते हुए एक एफआईआर दर्ज की गई थी।
एफआईआर में तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता को 27.12.2020 को एक फोन का उपयोग करते हुए पाया गया, जिसके माध्यम से उसने कथित तौर पर पोर्न सहित निषिद्ध वस्तुओं वाले व्हाट्सएप वीडियो भेजे। तदनुसार, फोन को जब्त कर लिया गया और सीआरपीसी की धारा 102 के तहत मामला दर्ज किया गया।
न्यायमूर्ति एन. अनिल कुमार ने कहा कि
"सीआरपीसी की धारा 102 के तहत अपराध दर्ज करना संहिता की योजना के अनुसार नहीं है। सीआरपीसी की धारा 102(1) केवल एक पुलिस अधिकारी को किसी भी संपत्ति को जब्त करने में सक्षम बनाती है जो 'कथित या चोरी होने का संदेह हो सकता है या जो परिस्थितियों में पाया जा सकता है, जो किसी भी अपराध के कमीशन का संदेह पैदा करता है।"
इसके अलावा ऐसी जब्ती के परिणामस्वरूप, यह आवश्यक है कि स्टेशन हाउस अधिकारी कानून के अनुसार मामला दर्ज करे। अदालत ने तदनुसार पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 102 के तहत दर्ज अपराध रद्द करने के लिए उत्तरदायी है। इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में उसके खिलाफ सभी कार्यवाही को रद्द कर दिया।
अखिल सी. बनाम केरल राज्य
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