शराब पीने की न्यूनतम उम्र में कमी का शराब पीकर गाड़ी चलाने से कोई संबंध नहीं: दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट में की दलील
दिल्ली हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में शराब पीने के लिए न्यूनतम आयु कम करने के उसके फैसले का शराब पीकर गाड़ी चलाने के अपराध से कोई संबंध नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा,
"कानून में शराब के नशे में गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं है। इसलिए शराब पीने न्यूनतम आयु 21 या 25 है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।"
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ दिल्ली आबकारी नीति, 2021 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह नीति राष्ट्रीय राजधानी में शराब की खपत के लिए न्यूनतम आयु 25 से घटाकर 21 कर देता है, ताकि इसे पड़ोसी राज्य यूपी में निर्धारित आयु के बराबर किया जा सके।
याचिका 'कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग' ने एडवोकेट प्रसन्ना एस. द्वारा दायर की गई।
कोर्ट ने शुरू में ही प्रतिवादी से पूछा कि न्यूनतम आयु कम करने के पीछे क्या उद्देश्य है।
इस पर मेहरा ने जवाब दिया कि दिल्ली के पड़ोसी सभी राज्यों में शराब पीने की न्यूनतम उम्र 21 साल है। तो विचार समता लाने का था।
प्रतिवादियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.एम. सिंघवी ने भी प्रस्तुत किया,
"उनके ख्याल में कोई भी शराब पीकर गाड़ी चलाने का समर्थन नहीं करता है। आयु सीमा कम करने का मतलब यह नहीं है कि हम शराब पीकर गाड़ी चलाने की अनुमति दे रहे हैं। यहां तक कि 50 वर्ष की आयु का व्यक्ति भी ऐसा नहीं कर सकता। इसके खिलाफ बहुत सख्त कानून हैं।"
उन्होंने कहा कि भारत में मतदान के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष है और यह कहना कि कोई व्यक्ति मतदान करना चुन सकता है लेकिन शराब नहीं पी सकता, यह "हाथी दांत के टावरों में रहने" जैसा है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 17 सितंबर को याचिका पोस्ट की गई। इसी दिन दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को चुनौती देने वाली याचिकाओं का एक बैच सूचीबद्ध है।
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अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा नाम के एक एनजीओ ने भी शराब पीने की न्यूनतम उम्र में कमी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया।
इसमें कहा गया,
''शराब पीने की उम्र कम करने से छात्रों और समाज की युवा पीढ़ी में शराब की लत बढ़ने वाली है।''
याचिका में आगे इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 47 के विपरीत है ,जो बताता है कि राज्य स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पेय के औषधीय प्रयोजनों को छोड़कर उपभोग पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास करेगा।
दिलचस्प बात यह है कि सितंबर, 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि एक "गलत धारणा" है कि दिल्ली आबकारी अधिनियम के तहत शराब पीने के लिए न्यूनतम निर्धारित आयु 25 वर्ष है, जो केवल उस उम्र से कम के लोगों को इसकी बिक्री पर रोक लगाती है।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और सी हरि शंकर की पीठ ने कहा था,
"शराब पीने की उम्र का दिल्ली सरकार द्वारा आबकारी अधिनियम के तहत लगाए गए निषेध से कोई लेना-देना नहीं है। हमें अधिनियम की धारा 23 को रद्द करने का कोई कारण नहीं दिखता है, जो 25 साल से कम उम्र के व्यक्ति को शराब बेचने या वितरित करने के लिए लाइसेंसधारी को प्रतिबंधित करता है।"
केस शीर्षक: कम्युनिटी अगेंस्ट ड्रंकन ड्राइविंग बनाम जीएनसीटीडी