रामनवमी हेट स्पीच| 'पुलिस को जांच पूरी करने दें': गुजरात हाईकोर्ट ने काजल हिंदुस्तानी की एफआईआर रद्द कराने की याचिका 'वापस' के रूप में निस्तारित की
गुजरात हाईकोर्ट ने दक्षिणपंथी कार्यकर्ता काजल हिंदुस्तानी की ओर से 30 मार्च को रामनवमी पर दिए गए उनके एक भाषण के संबंध में दर्ज एफआईआर को रद्द कराने के लिए दायर याचिका को वापस के रूप में निस्तारित कर दिया है।
जस्टिस समीर जे दवे की पीठ ने काजल की ओर से पेश वकील की दलीलें सुनने के बाद टिप्पणी की कि "पुलिस को जांच पूरी करने दें।"
कोर्ट ने कहा, प्रारंभिक चरण में एफआईआर को रद्द करने का कोई आधार नहीं मिला। उल्लेखनीय है कि काजल पर 30 मार्च को ऊना में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया है।
घटना के बाद, शहर में सांप्रदायिक झड़प हुई और कथित तौर पर विभिन्न स्थानों पर पथराव भी हुआ।
गुजरात पुलिस ने 2 अप्रैल को एक एफआईआर दर्ज की, जिसमें काजल को भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना) और 295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर किया गया कार्य या दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत नामजद किया गया।
उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि काजल ने मुस्लिम समाज की महिलाओं और पुरुषों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया और उनका भाषण हिंदू और मुस्लिम लोगों के बीच जानबूझकर वैमनस्य फैलाने के उद्देश्य से दिया गया था।
9 अप्रैल को आत्मसमर्पण करने के बाद काजल को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और चूंकि राज्य पुलिस ने उनकी रिमांड नहीं मांगी, इसलिए एक स्थानीय अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर एम असोदिया ने गुरुवार को उन्हें जमानत दे दी।
हाईकोर्ट के समक्ष, उनके वकील ने तर्क दिया कि जिन व्यक्तियों की भावनाओं को कथित रूप से आहत किया गया है, उनमें से कोई भी एफआईआर दर्ज कराने नहीं आया और पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर लिया। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि वास्तव में दिए गए भाषण की सामग्री और एफआईआर में आरोप मेल नहीं खाते हैं।
हालांकि, न्यायालय उसे राहत देने के लिए इच्छुक नहीं था, और इसलिए, उसके वकील ने याचिका वापस ले ली।
केस टाइटलः काजलबेन ज्वलंत शिंगाला @ काजलबेन हिंदुस्तानी बनाम गुजरात राज्य