'एक राष्ट्र, एक दाम': राजस्थान हाईकोर्ट ने COVID-19 वैक्सीन के अलग-अलग दामों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया
राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को COVID-19 वैक्सीन के संबंध में 'एक राष्ट्र, एक दाम' नीति को लागू करने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती और न्यायमूर्ति विनित कुमार माथुर की एक खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 मई को तय की है।
याचिका अधिवक्ता मनीष भुंवाल ने यह कहते हुए दायर की है कि केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों द्वारा वैक्सीन की खरीद में मूल्य भिन्नता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन की गारंटी के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।
यह निम्नलिखित कानूनों का उल्लंघन करने वाला भी बताया गया है:
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स के आयात, निर्माण, वितरण और बिक्री को विनियमित करने के लिए समय-समय पर अधिनियमित और संशोधित किया गया है;
राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल्स मूल्य निर्धारण नीति, 2012 के तहत सरकार को सभी को उचित मूल्य पर आवश्यक दवाएं प्रदान करना आवश्यक है और इसलिए कोई भी कानून देश में दवा की कीमत अलग से देने का अधिकार प्रदान नहीं करता है;
दवा का मूल्य निर्धारण ड्रग्स (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 द्वारा किया जाता है। इसमें दवा की संपूर्ण बिक्री और खुदरा मूल्य निर्धारित करने के सूत्र प्रदान किए जाते हैं। वही राज्य और केंद्र द्वारा खरीद के लिए दर विभेदन प्रदान नहीं करता है।
भारत सरकार बनाम के.एस. गोपीनाथ अन्य अन्य के मामले में दिए गए फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने आवश्यक और जीवन रक्षक दवाओं के मूल्य नियंत्रण से बाहर नहीं होने के लिए उचित मानदंड पर विचार करने और तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। '
याचिका में कहा गया है कि चूंकि COVID-19 वैक्सीन के संबंध में 'एक राष्ट्र, एक दाम' नीति को लागू करने की मांग वैक्सीन जीवन रक्षक दवा है, इसे वर्ष 2016 में तैयार की गई आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि एंजियोप्लास्टी के लिए इस्तेमाल होने वाले स्टेंट की कीमत पर नजर रखी जा सके।
जनहित याचिका में उठाया गया दूसरा मुद्दा राजस्थान राज्य में COVID-19 संबंधित चिकित्सा आपूर्ति, ऑक्सीजन और अस्पताल के बेड के कुप्रबंधन से संबंधित है।
याचिकाकर्ता चिकित्सा आपूर्ति और ऑक्सीजन के संबंध में केंद्र और राज्य के कामकाज की देखरेख के लिए एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन की मांग करता है।
इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारियों को निम्न दिशा-निर्देश जारी किए जाने का आग्रह किया:
1. राज्य में सक्रिय मामलों को देखते हुए चिकित्सा आपूर्ति और ऑक्सीजन का पर्याप्त कोटा आवंटित करें;
2. राजस्थान राज्य को चिकित्सा आपूर्ति और ऑक्सीजन की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करना;
3. रेलवे और सड़कों के माध्यम से रसद समर्थन सुनिश्चित करना;
4. राज्य और जिला स्तर पर एसआईटी का गठन करना, जो कालाबाजारी करने वालों और मेडिकल आपूर्ति और ऑक्सीजन के जमाखोरों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करे।
केस का शीर्षक: मनीष भुंवाल बनाम भारत सरकार और अन्य।
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें