पुनर्विचार याचिका लंबित होने के कारण ट्रायल कोर्ट के समक्ष क्रॉस एक्जामिनेशन नहीं करने का कोई आधार नहीं: राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि पुनर्विचार याचिका का लंबित होना या न होना पक्षकार के लिए निचली अदालत के समक्ष क्रॉस एक्जामिनेशन (प्रति परीक्षण) टालने का आधार नहीं है।
डॉ जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने आयकर अधिनियम के तहत मामले के संबंध में भेरू लाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त स्पष्टीकरण दिया। याचिका में कहा गया कि क्रॉस एक्जामिनेशन राइट बंद कर दिया गया। उसने जुर्माना पर क्रॉस एक्जामिनेशन के लिए एक और अवसर मांगा।
प्रतिवादी के वकील ने इस आधार पर याचिका का जोरदार विरोध किया कि याचिकाकर्ता को आवश्यक क्रॉस एक्जामिनेशन करने के लिए कई अवसर दिए गए, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहा है। पुनर्विचार याचिका के लंबित रहने के संबंध में निचली अदालत के समक्ष बहाना बना रहा है और इस प्रकार पूरी कार्यवाही में देरी कर रहा है।
हालांकि, अदालत ने न्याय के हित में याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट द्वारा पहले से तय की गई अगली तारीख पर आवश्यक क्रॉस एक्जामिनेशन पूरी करने का आखिरी मौका दिया।
कोर्ट ने कहा,
"पक्षकारों के एडवोकेट को सुनने के बाद इस न्यायालय का दृढ़ मत है कि पुनर्विचार याचिका का लंबित होना या न होना क्रॉस एक्जामिनेशन न करने का आधार नहीं है। हालांकि, न्याय के हित में याचिकाकर्ता को अंतिम अवसर दिया जाता है, जो ट्रायल कोर्ट द्वारा पहले से तय अगली तारीख पर आवश्यक क्रॉस एक्जामिनेशन पूरी करेगा।"
अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता द्वारा 5,000/- रुपये की राशि जमा करने के बाद ही इस तरह की क्रॉस एक्जामिनेशन की अनुमति दी जाएगी। अदालत ने कहा कि इस तरह का जुर्माना प्रतिवादी नंबर दो को जारी की जाएगी।
इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता इसका उपयोग करने में विफल रहता है तो कोई और अवसर नहीं दिया जाएगा। उसके बाद वर्तमान आदेश स्वतः ही निरस्त हो जाएगा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि पुनर्विचार याचिका के लंबित रहने से क्रॉस एक्जामिनेशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
एडवोकेट ज्ञान ज्योति गुप्ता याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए जबकि पीपी एसके भाटी और एडवोकेट राजेन्द्र सिंह चरण प्रतिवादी की ओर से उपस्थित हुए।
केस टाइटल: भेरू लाल बनाम राजस्थान राज्य
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (राज) 193
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