राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रेमी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में अग्रिम लागत के रूप में 50 हज़ार रुपए जमा कराने का आदेश दिया

Update: 2022-11-23 06:41 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में अपनी प्रेमिका को उसकी मां की कथित अवैध कस्टडी से रिहाई की मांग करने वाले एक व्यक्ति (प्रेमी) को मुकदमे की लागत के रूप में 50000 रुपए अग्रिम जमा कराने का निर्देश दिया।

दिनेश चौधरी ने दावा किया कि वह इंस्टाग्राम के जरिए कस्टडी में ली रखी गई महिला (Corpus) के संपर्क में आया। उसने दावा किया कि महिला अपनी शादी से नाखुश थी और इसलिए, उसके साथ देसुरी चला गई और शादी का हलफनामा तैयार किया। बाद में वे गुजरात गए, जहां से उन्हें पुलिस और उनके मायके वालों द्वारा वापस लाया गया। चौधरी ने आगे कहा कि हालांकि हिरासत में रखी गई महिला ने अपनी मां के साथ जाने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन बयान यह दबाव में दिया गया था।

जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुलदीप माथुर की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को रजिस्ट्री के पास 50,000 रुपए जमा करने का निर्देश दिया, जिसके बाद ही महिला को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा।

बेंच ने कहा,

" उपर्युक्त तथ्यों के मद्देनजर, हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता आज से पांच दिनों की अवधि के भीतर रजिस्ट्रार (न्यायिक), राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर में 50,000 रुपये की अनुलंब लागत जमा करेगा और इसकी प्रति देगा। एएजी को रसीद जो बदले में संबंधित एसएचओ को सुनवाई की अगली तारीख पर इस अदालत में कॉर्पस पेश करने का निर्देश देंगे। यदि अनुमेय लागत जमा की जाती है तो कॉर्पस को 02.12.2022 को अदालत में पेश किया जाएगा।"

मामला अब 2 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध है।


केस टाइटल : दिनेश चौधरी बनाम राजस्थान राज्य और अन्य

साइटेशन : डीबी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका नंबर 314/2022

कोरम: जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुलदीप माथुर

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