राजस्थान हाईकोर्ट ने ड्रीम 11 के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया, कंपनी पर सट्टेबाजी और जुए का था आरोप

Update: 2020-10-20 05:46 GMT

राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार (16 अक्टूबर) को ड्रीम 11 फैंटेसी प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ जनहित याचिका की प्रकृति की रिट याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस मंच पर खेला जा रहा गेम "सट्टेबाजी" के अलावा और कुछ नहीं है।

याचिका में आरोप लगाया गया था कि ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स गेम्स संयोग के खेल हैं, इस प्रकार यह जुआ/सट्टेबाजी का अवैध कार्य है।

चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल की खंडपीठ ने कहा कि,"चूंकि फैंटसी गेम का परिणाम प्रतिभागी के कौशल पर निर्भर करता है, संयोग पर नहीं और प्रतिभागी द्वारा बनाई गई आभासी टीम की जीत या हार भी वास्तविक दुनिया के खेल या घटना के परिणाम से स्वतंत्र है, हम मानते हैं कि प्रतिवादी नंबर 5 द्वारा प्रस्तावित ऑनलाइन फैंटसी गेम का फॉर्मेंट केवल कौशल का खेल है और उनके व्यवसाय को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत संरक्षण प्राप्त है, जैसा कि विभिन्न न्यायालयों द्वारा बार-बार कहा जाता है और माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी पुष्टि की जाती है।"

जनहित याचिका में क्या कहा गया था

यह आरोप लगाया गया था कि निजी-उत्तरदाता नंबर 5 उचित वर्गीकरण के तहत जीएसटी का भुगतान नहीं कर रहा है, जो कि 28% की दर से होना चाहिए और केवल 18% जीएसटी का भुगतान करता है, वह भी एक प्रतिभागी से प्राप्त राशि पर, जिसे वह बरकरार रखता है, जो कि प्रभावी रूप से शेष 80% राशि पर जीएसटी को बचाने के बराबर है, जो खेल के लिए विजेता राशि की ओर स्थानांतरित किया जाता है।

याचिकाकर्ता ने "सट्टेबाजी या जुआ" की परिभाषा के लिए वित्त अधिनियम, 1994 की धारा 65-बी (15) का उल्लेख किया, "विचार" की परिभाषा के लिए CGST एक्ट की धारा 2 (13) और नियम 31-A केंद्रीय माल और सेवा कर नियम, 2018 (संक्षेप में 'सीजीएसटी नियम') का उल्लेख किया।

याचिकाकर्ता ने घुड़दौड़ के संबंध में जारी परिपत्र संख्या 27/01 / 2018- GST दिनांक 04.01.2018 का उल्लेख किया और इस आधार पर आरोप लगाया कि प्राप्त राशि का 100% पर जीएसटी देय होना चाहिए।

याचिकाकर्ता के अनुसार, निजी प्रतिवादी नंबर 5 द्वारा प्रतिभागियों से प्राप्त प्रत्येक `100/ - में से,`80/ - को कॉमन पूल प्राइस मूल्य के एक एस्क्रो खाते में अलग रख दिया जाता है और इसे ही विजेताओं के बीच वितरित किए जाता है और इस राश‌ि पर जीएसटी का भुगतान नहीं किया जाता है, जिसे प्लेटफ़ॉर्म शुल्क यानी `20 / - के रूप में बरकरार रखी गई शेष राशि पर भुगतान किया जाता है। याचिकाकर्ता का यह भी आरोप था कि एस्क्रो खाते में रखी गई 80/- की उक्त कार्रवाई योग्य दावा राशि पर भी और विजेताओं के बीच वितरित किए जाने पर, जीएसटी को निजी प्रतिवादी संख्या 5 द्वारा देय होना चाहिए, वह भी 28% की दर से देया होना चा‌‌हिए।

याचिका में निजी प्रतिवादी नंबर 5- ड्रीम 11 के खिलाफ दो मुद्दों को उठाकर कार्रवाई की मांग की गई है, जो निम्न है-

(1) क्या ड्रीम 11 प्लेटफार्म पर प्रस्तावित ऑनलाइन फैंटसी खेल "जुआ/सट्टेबाजी" हैं?

(2) क्या प्रतिवादी नंबर 5-ड्रीम 11 जीएसटी के लिए आभासी ऑनलाइन गेम को गलत प्रविष्टि में वर्गीकृत किया है, और इसलिए, जीएसटी को बचाने के लिए सीजीएसटी रुल्स, 2018 के नियम 31(ए) (3) का उल्लंघन किया जा रहा है?

कोर्ट का विश्लेषण

बॉम्बे राज्य आरएमडी चामरबागवाला और अन्य, AIR 1957 SC 699 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए, जिसमें यह कहा गया था कि कौशल के खेल जुए से अलग हैं और भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत संरक्षण प्राप्त हैं, हाईकोर्ट ने कहा कि जिन खेलों में पर्याप्त कौशल शामिल हैं, वे जुआ नहीं हैं और इस प्रकार की प्रतियोगिताएं को भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत व्यावसायिक गतिविधियों के रूप में सुरक्षा प्राप्त है।

इसके अलावा, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि प्रतिवादी नंबर 5 द्वारा प्रस्तावित फैंटसी गेम केवल संयोग या दुर्घटना से निर्धारित नहीं होते हैं, बल्‍कि प्रतिभागी का कौशल खेल के परिणाम को निर्धारित करता है।

न्यायालय ने कहा कि वास्तविक मैचों में कौन सी टीम जीतती या हारती है, यह महत्‍वपूर्ण नहीं है, क्योंकि प्रतिभागी आभासी टीम के चयन में वास्तविक दुनिया में खेलने वाली दोनों टीमों के खिलाड़ियों को शामिल करता है।

न्यायालय ने प्रतिवादी नंबर 5 की प्रस्तुतियों से भी सहमति व्यक्त की कि ड्रीम -11 जैसे काल्पनिक खेल प्रारूपों को विश्व भर में मनोरंजक खेल उपकरणों के रूप में मान्यता प्राप्त है, क्योंकि वे खेल प्रेमियों को, अपने परिवार और दोस्तों के साथ अपने पसंदीदा खेलों के साथ जुड़ने के लिए मंच प्रदान करते हैं। संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत संरक्षण प्राप्त वैध व्यवसायिक गतिविधि से जीएसटी और आयकर भुगतान में वृद्धि होती है और दर्शकों और खेल प्रशंसकों को भी मनोरंजन प्राप्त होता है।

अदालत ने अंत में कहा‌ कि प्रतिवादी नंबर 5 के मंच पर खेला जाने वाला खेल काल्पनिक खेल जुआ या सट्टेबाजी नहीं है। दूसरे मुद्दे पर, कोर्ट ने गुरदीप सिंह सच्चर बनाम यून‌ियन ऑफ इंडिया [निर्णय 30 अप्रैल 2019 को आपराधिक पीआईएल. 2019 का नंबर 16] का हवाला दिया।

हालांकि, न्यायालय ने जीएसटी अधिकारियों के लिए कानून के अनुसार विचार करने के लिए उक्त दूसरे मुद्दे को छोड़ना उचित समझा। न्यायालय का विचार था कि जनहित याचिका बिना किसी वास्तविक जनहित के, बिना संबंधित तथ्यों का खुलासा किए और बिना उचित शोध के दायर की गई है।

नतीजतन, न्यायालय ने जनहित याचिका में कोई योग्यता नहीं पाई और उसी के अनुसार लागत के साथ खारिज कर दिया गया।

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